नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज राज्यसभा में विदाई समारोह में अंतिम भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने राज्यसभा सभापति के तौर पर अपने अनुभवों को साझा किया. साथ ही अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सरकार को नसीहत भी दे गए.
हामिद अंसारी ने कहा कि राज्यसभा में सभापति रहना मेरे लिए क्रिकेट का अंपायर या हॉकी के रेफरी की तरह था जो बिना खेले ही खेल में शामिल रहता है. मुझे लगता है कि मैंने राज्यसभा में न्यायसंगत काम किया है.
अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर उन्होंने सरकार को भी नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा, जैसा कि डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था कि लोकतंत्र का मतलब ही ये है कि अल्पसंख्यकों को पूरी तरह सुरक्षा मिले. लोकतंत्र तब तानाशाह हो जाता है जब विपक्षियों को सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करने का मौका न दिया जाए. उपराष्ट्रपति ने कहा कि साथ ही अल्पसंख्यकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब असहनशीलता और कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं और कुछ भगवा नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए हैं. उप-राष्ट्रपति के तौर पर 80 साल के अंसारी का दूसरा कार्यकाल आज 10 अगस्त, गुरुवार को पूरा हो रहा है. आज वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात करने पहुंचे.
बयान से सियासी हलचल
बता दें कि आज ही हामिद अंसारी ने एक इंटरव्यू में ये कहा कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास है. हामिद अंसारी ने ‘स्वीकार्यता के माहौल’ को खतरे में बताते हुए कहा है कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है.
अंसारी ने कहा कि उन्होंने असहनशीलता का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों के सामने उठाया है. उन्होंने इसे ‘परेशान करने वाला विचार’ करार दिया कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. राज्यसभा टीवी पर जाने-माने पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में जब अंसारी से पूछा गया कि क्या उन्होंने अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री को अगवत कराया है, इस पर उप-राष्ट्रपति ने ‘हां’ कहकर जवाब दिया.