भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए मूवमेंट ऑफ पॉजिटिविटी को अपनाना होगा : पारस ओसवाल

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (25 नवंबर 2022): राजधानी दिल्ली में आयोजित 2nd नेशनल सम्मिट ऑन लीडरशिप इन पॉजिटिविटी एंड जेम्स पॉजिटिविटी अवार्ड 2022 कार्यक्रम में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सहित गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया।

इसी क्रम में मूवमेंट ऑफ पॉजिटिविटी के संस्थापक पारस ओसवाल ने टेन न्यूज नेटवर्क से खास बातचीत में कहा कि मूवमेंट ऑफ पॉजिटिविटी का मतलब है कि नागरिक होने के नाते,एक शहरी होने के नाते हम अपने शहर के लिए क्या कर सकते हैं। पॉजिटिव होने के लिए सबसे पहले आपकी सोच पॉजिटिव होनी चाहिए। आजकल लोगों को जिस कार्य में किसी प्रकार का लाभ मिलता है उस कार्य को करते हैं। मैं चाहता हूं कि शासन, प्रशासन और लोग बिना किसी स्वार्थ के एकसाथ आए यही हमारा थॉट था।

श्री ओसवाल ने आगे कहा कि इसकी शुरुआत ढाई वर्ष पूर्व कोल्हापुर से हुई। वहां हम एक सिटी (शहर) के लिए कार्य कर रहे थे। एक सिटी के लिए जो काम करते हैं वही नेशनल के लिए भी काम होता है। इसकी शुरुआत कोल्हापुर से हुई अब दिल्ली से यह पूरे राज्य में और हर जगह जाएगा। हमने जो थॉट दिया था वो यह था कि कुछ भी कार्य हो तो शासन प्रशासन की संलग्न मत से होना चाहिए। आज स्वतंत्र भारत में प्रशासन आपकी दुविधा को जानता है, आप एकबार प्रशासन के स्तर पर रखेंगे यदि वह थॉट सही होगा तो प्रशासन तुरंत उसे एक्सेप्ट करेगा। यदि गलत थॉट होगा तो लोगों को मोर्चा निकालना पड़ता है, बंद करना पड़ता है। आखिर ये क्यों करना पड़ता है।

 

पारस ओसवाल ने कहा कि स्वतंत्र भारत का हृदय है नागरिक। आज शासन, प्रशासन, राज्य व्यवस्था, केंद्र की व्यवस्था सब नागरिकों के लिए है। कहते हैं कि लोकशाही में आदमी ही राजा है पर आज हमने आदमी को गुलाम बना दिया है। इसको वापस राजा की तरह लाना है। हम काम के लिए एक साथ आते हैं, बिना किसी जाति, धर्म के भेद से। नागरिक सुविधा आपको पाना है तो नागरिक के लिए जो भी समस्याएं है उसका समाधान करना है।

उनके विजन के भविष्य को लेकर बात करते हुए पारस ओसवाल ने कहा कि कोल्हापुर का इतिहास है कि वहां से जो भी चलता है वो फिर रुकता नहीं है। सभी व्यक्ति को एक दूसरे के मदद की आवश्यकता है और सभी लोग एक दूसरे का मदद करके अपने प्रॉब्लम्स को सॉल्व करेगा, और इससे पूरा देश बदलेगा।

आखिरी में श्री ओसवाल ने कहा कि यदि भारत को आगे बढ़ना है, विश्वगुरु बनना है तो इन सभी चीजों को अपनाना ही होगा। डॉ ज्ञानेश्वर मुले जी के साथ हमने इसकी शुरुआत की है और आनेवाले हमने जो व्यवस्था सुधारने का संकल्प लिया है वो व्यवस्था जरूर सुधरेगी।।