NIRF की तरह विद्यालयों में भी रैंकिंग लागू करने की उठ रही मांग

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (9 अक्टूबर 2022): NIRF (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों को उनके शैक्षिक एवं संरचनात्मक दृष्टिकोण से मूल्यांकित करते हुए प्रदान की जाती है। इन रैंकिंग के माध्यम से नामांकन दाखिल करवाने वाले छात्रों को महाविद्यालय, विश्विद्यालय एवं शैक्षिक संस्थानों का चुनाव करना आसान हो जाता है।

हालांकि यह सुविधा अथवा मूल्यांकन केवल उच्च शिक्षा संस्थानों तक ही सीमित है और स्कूलों के लिए फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।

 

वर्ष 2015 से पूर्व उच्च शिक्षा में भी इस प्रकार की परेशानी सामने आती थी और छात्रों को निजी रैंकिंग पर भरोसा करना पड़ता था। हालांकि एनआईआरएफ रैंकिंग फ्रेमवर्क की शुरुआत वर्ष 2015 में तत्कालीन शिक्षामंत्री के द्वारा की गई थी। वर्ष 2022 में कुल 11 अलग – अलग कैटोगरी के 6272 कॉलेजों ने इस रैंकिंग के लिए अप्लाई किया था। विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों को रैंकिंग प्रदान करने के मुख्य 5 मैन पैरामीटर और 16 सब पैरामीटर हैं।

शिक्षकों , स्कूली बच्चों , अभिभावकों की समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए टेन न्यूज नेटवर्क द्वारा इस मामले पर एक खास अभियान चलाया जा रहा है कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों की तरह ही विद्यालयों की भी रैंकिंग होनी चाहिए, शुरुआत में कक्षा नौवीं, दसवीं एवं 11वीं-12वीं क्लास को ध्यान में रखते हुवे रैंकिंग कर सकते है। ताकि स्कूल बेहतर है यह पता चले और दाखिला लेने वाले छात्रों एवं अभिभावकों को अपने पसंद के विद्यालय को चुनने का अवसर मिल सके। इससे शिक्षकों के चयन प्रक्रिया को भी लाभ मिलेगा ।

इस बाबत टेन न्यूज़ लाइव Need for National School Ranking Framework ( NSRF) परीचर्चा में शामिल मेहमानों ने अपने विचार रखे एवं सुझाव भी पेश किए।

कार्यक्रम में बतौर मेहमान शामिल एमबी अग्रवाल (जनरल सेक्रेटरी, ऑल इंडिया केंद्रीय विद्यालय टीचर्स एसोसिएशन) ने इस मसले पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, विद्यालयों में रैंकिंग व्यवस्था लागू होने से छात्रों को विद्यालय चुनने में आसानी तो जरूर होगी लेकिन इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी हैं, जैसे कि रैंकिंग के लिए कई पैरामीटर हैं संरचनात्मक विकास के साथ साथ कई अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के बाद रैंकिंग प्रदान किया जाता है। ऐसे में छोटे स्कूल जिनके पास बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है उनका नुकसान होगा। साथ ही एमबी अग्रवाल ने कहा कि रैंकिंग अगर लागू भी की जाए तो उसका आधार वहां की शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, वहां के छात्रों का परिणाम होना चाहिए न कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं होनी चाहिए।

 

अदिति बासु रॉय (प्रिंसिपल GRADS इंटरनेशनल स्कूल, ग्रेटर नोएडा) ने उक्त मुद्दे पर अपनी बातों को रखते कहा कि स्कूलों में रैंकिंग व्यवस्था लागू करने से कुछ नहीं होगा, स्कूलों का एक स्टैंडर्ड तय होना चाहिए। वरना रैंकिंग में फिर बड़े और सुविधा संपन्न अच्छे स्कूल अव्वल स्थान पर रहेंगे और जो छोटे और पिछड़े स्कूल हैं वो निचले पायदान पर रहेंगे । साथ ही उन्होंने नई शिक्षा नीति की बात करते हुए कहा कि जो नई शिक्षा नीति है उसे सीबीएसई बोर्ड वाले स्कूलों द्वारा तो तुरंत लागू कर दिया जाएगा, लेकिन सरकारी स्कूलों को अभी लागू करने में समय लगेगा।

कार्यक्रम में बतौर अतिथि मौजूद संजय सिन्हा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधी ने इसी शिक्षा व्यवस्था की शुरुआत की थी जिसे हमलों ने आज समाप्त कर दिया है। आगे संजय सिन्हा ने कहा कि स्कूलों का रैंकिंग करने से कम रैंक के स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, तो बेहतर है कि रैंकिंग के बजाय यदि हम विद्यालयों के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सर्वे करवा लें, शिक्षकों की योग्यता उनके विद्यालय आने का समय और छात्रों के साथ उनके व्यवहार आदि पर ध्यान दिया जाए। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि दिल्ली में केवल बिल्डिंग, और शौचालय बदले हैं। स्कूल के नाम पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बनाई गई है या फिर वहां पढ़ने वाले छात्रों में भी कुछ बदलाव हुआ है, 12वीं के बाद वो छात्र किस विधा में कितने आगे गए इसका सर्वे किया जाना चाहिए।
साथ ही उन्होंने बेहतरीन उदाहरण से समझाते हुए कहा कि यदि शिक्षक चाह लें तो बच्चा कुछ भी कर सकता है, कक्षा में कई प्रतिभाशाली बच्चें मौजूद हैं आवश्यकता है उन्हें पहचानने और निखारने की।

बहरहाल विद्यालयों में रैंकिंग व्यवस्था लागू की जाए या नहीं इसपर और भी परिचर्चाएं टेन न्यूज़ में जारी रहेगी और सभी के सुझावों पर गौर करते हुए इस विषय पर न्यूज़ रिपोर्टस भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के मंत्री एवं उच्च अधिकारियों तक भेज दी जाएगी।

बहरहाल विद्यालयों में रैंकिंग व्यवस्था लागू की जाए या नहीं इसपर बहस अभी जारी है। इस विषय पर आपके क्या विचार एवं सुझाव हैं तो आप इस विषय पर अपना मत हमें news@tennews.in पर ई मेल करे । अगर आप का लम्बा अनुभव स्कूल शिक्षा क्षेत्र में है और आप टेन न्यूज़ लाइव में इस परिचर्चा में हिस्सा लेना चाहते है तो अपना प्रोफाइल Email करे ।