लखनऊ में मेघनाद एवं कुंभकरण के पुतलों का दहन नहीं होगा । ग्रेटर नोएडा – दिल्ली में क्या होगा ?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (04 अक्टूबर 2022): सनातन धर्मावलंबियों के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की लीला जो वाल्मिकी रामायण एवं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित राम चरित मानस के आधार पर असंख्य भक्तों द्वारा रामलीला का अयोजन मंचन 300 से सालों से किया जाता रहा है।

 

अब रामलीला में एक नई बहस शुरू हो गई है, जिसमें अलग- अलग विद्वानों का अलग-अलग मत है। बहस का विषय यह है कि आखिर रावण के साथ मेघनाद और कुम्भकरण के पुतलों का दहन क्यों?, चूंकि अवध रामलीला कमेटी के सदस्यों का मानना है कि रावण के किसी भी अनैतिक एवं अनाचार में मेघनाद एवं कुंभकरण का मतैक्य नहीं था। बल्कि मेघनाद का मानना था कि प्रभु श्री राम विष्णु के अवतार हैं और कुंभकरण का मतैक्य था कि माता सीता जगदम्बा की अवतार हैं।और दोनो ने रावण को इसतरह अवगत कराया था ।

 

इस बाबत ग्रेटर नोएडा धार्मिक रामलीला के मुख्य संस्थापक एवं भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर गोस्वामी सुशील जी महराज ने टेन न्यूज से टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि ” रावण के साथ मेघनाद एवं कुंभकरण का पुतला दहन करना गलत है। क्योंकि अलग-अलग विद्वानों का यह मत है कि कुंभकरण का मानना था कि प्रभु श्री राम विष्णु के अवतार हैं और माता सीता जगदम्बा की अवतार हैं। लेकिन कुंभकरण ने अपने राजधर्म के कारण विवश और मजबूर था। इसीलिए कई विद्वानों का भी यह मत है, कि रावण के साथ मेघनाद और कुंभकरण का दहन उचित नहीं है। इस विषय पर कमेटी सदस्यों से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा । साथ ही स्वामी सुशील ने कहा कि ” सभी भक्तों को सकारात्मकता के लिए प्रभु श्री राम की पूजा करनी चाहिए और नकारात्मकता के प्रतीक के रूप में रावण के पुतला का दहन करना चाहिए।”

 

वहीं श्री रामलीला कमेटी ग्रेटर नोएडा के महासचिव एवं सह निदेशक बिजेंद्र सिंह आर्य ने टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि ” सभी लोगों का अपना- अपना मत है, हमारा मानना है कि रावण दुराचारी था और उसका समर्थन एवं सहयोग करने वालों सभी असुरों का वध और उनका पुतला दहन उचित है।”

 

वहीं नव श्री धार्मिक रामलीला दिल्ली के सदस्यों का कहना है कि ” इस मामले में सबों का अपना मत है, हमलोग पूर्व से ही मेघनाद, कुंभकरण और रावण का पुतला दहन करते आए हैं, और हर वर्ष की भांति इस वर्ष मेघनाद, कुंभकरण और रावण के साथ-साथ कोरोना का भी पुतला दहन किया जाएगा।”

 

इस मामले पर सुदर्शन न्यूज के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुरेश चव्हाणके ने टेन न्यूज से बात करते हुए कहा कि ” लाखों वर्षों से जो रामलीला होती चली आ रही है, इंडोनेशिया में और दुनिया भर में जो रामलीला मनाई जाती है उसमें सबों ( रावण, कुंभकरण और मेघनाद) का पुतला दहन किया जाता है। अब कहीं एक दो जगह किसी आधार पर कुछ बदलाव कर दिया जाता है वो नहीं माना जाएगा।सुरेश चव्हाणके ने आगे कहा कि ऐसे तो कोई कल आकर रावण के विषय में भी बोलेगा कि वह विद्वान था , पंडित था, उसका भी पुतला दहन नहीं होना चाहिए। परंपराओं का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। साथ ही मदर टेरेसा के फोटो लगे होने पर भी सुरेश चव्हाणके ने आपत्ति जताई।

 

वहीं फरीदाबाद से विधायक एवं जाने माने राम कथाकार नीरज शर्मा ने टेन न्यूज से बात करते हुए कहा कि सबकी अपनी अपनी मान्यताएं हैं, इसपर मैं कुछ नहीं बोलना चाहूंगा लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि रावण के पुतला दहन के साथ-साथ दशहरे पर भारत में भ्रष्टाचार का पुतले दहन भी होना चाहिए।

बहरहाल बहस जारी है, और अवध की लखनऊ रामलीला कमेटी ने यह काफ़ी गहन संशोधन के बाद इस साल से पुतला दहन केवल रावण का ही करेगी।

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