दो भारतीय स्टूडेंट इनोवेटर्स को जेम्स डायसन अवार्ड 2022 का राष्ट्रीय विजेता घोषित किया गया

भारत, 28 सितंबर, 2022: बैंगलोर स्थित दो इंजीनियरिंग विद्यार्थियों, अर्जुन बीएस और अजय कृष्णन ए को अपने अद्वितीय इनोवेशन एपिशॉट के लिए प्रतिष्ठित जेम्स डायसन अवार्ड 2022 का ‘राष्ट्रीय विजेता’ घोषित किया गया है। एपिशॉट एलर्जन के संपर्क में आने पर अचानक उत्पन्न होने वाली गंभीर और संभावित जानलेवा सिस्टेमिक एलर्जिक रिएक्शन से पीड़ित मरीजों के लिए एक रियूज़ेबल एपाईनफ्राईन ऑटोइंजेक्टर है। जेम्स डायसन अवार्ड 28 देशों के विद्यार्थियों को ऐसा कुछ डिज़ाईन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे किसी समस्या का समाधान हो। विजेता जेम्स डायसन प्रविष्टि में सरल एवं बुद्धिमान इंजीनियरिंग के सिद्धांत होते हैं, जो किसी समस्या का समाधान करते हैं।

भारत में इस लेटेस्ट संस्करण में अनेक युवा और प्रतिभाशाली इंजीनियर्स ने अपनी अभिनव प्रविष्टियां प्रस्तुत कीं, जिनमें वास्तविक जीवन की किसी समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया। राष्ट्रीय विजेता, अर्जुन बीएस और अजय कृष्णन ए को लगभग 4.6 लाख रु. (5,000 पाउंड) की पुरस्कार राशि मिलेगी, और वो अंतर्राष्ट्रीय राउंड में भारत का प्रतिनिधित्व भी करेंगे, जहाँ सर जेम्स डायसन अंतिम विजेताओं का चयन करेंगे, और उन प्रतिभाशाली इनोवेटर्स को अत्याधुनिक कॉन्सेप्ट प्रस्तुत करने के लिए जीवन का अनमोल मौका प्रदान करेंगे।

पुरस्कार राशि की मदद से राष्ट्रीय विजेताओं का उद्देश्य कमर्शियलाईज़ेशन के लिए एपिशॉट में संशोधन करना है। इस कदम से एपिशॉट के निर्माण की क्षमता, विश्वसनीयता, और पोर्टेबिलिटी बढ़ेगी, और डिवाईस की कीमत में कमी आएगी।

अर्जुन ने कहा, ‘‘भारतीय आबादी में आमतौर से एलर्जी पाई जाती है, लेकिन इस बात में कोई यकीन नहीं करता कि एक सरल की एलर्जिक रिएक्शन के लिए यदि तत्काल इलाज न दिया जाए, तो वह जानलेवा हो सकती है। भारत में अभी तक एनाफिलैक्सिस के लिए कोई तत्कालिक समाधान उपलब्ध नहीं, जो मुख्यतः 20 से 40 साल के आयुवर्ग में पाया जाता है। बाजार में मौजूदा एकाधिकार, सिंगल-यूज़ ऑटोइंजेक्टर्स की महंगी कीमत, और स्वयं इस्तेमाल के लिए सुरक्षा के जोखिम के कारण सुरक्षित और किफायती समाधानों की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। एपिशॉट का उद्देश्य इस कमी को पूरा करना है। इस अत्यधिक जरूरी डिवाईस का विकास करने की चुनौती हमें एक पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. परमेश एच ने दी, जिन्होंने आपातकालीन रिस्पॉन्स मेडिकेशन के रूप में एपाईनफ्राईन को लोकप्रिय बनाने के लिए दशकों तक मेहनत की है। हमारा मानना है कि जेम्स डायसन अवार्ड हमारे जीवनरक्षक इनोवेशन को पहचान दिलाने, इसके बारे में जानकारी बढ़ाने और बड़े स्तर पर इसे अमली जामा पहनाने में एक आधार का काम करेगा।’’

अजय ने कहा, ‘‘एपिशॉट के डिज़ाईन में अनेक बार संशोधन किए गए, कुछ संशोधनों के साथ प्रोटोटाईप तैयार किए गए। एक्सीडेंटल इंजेक्शन रोकने के लिए सरल सिंगल-हैंड-ऑपरेटेड ऑटोइंजेक्टर में सेफ्टी कैप जोड़ने से लेकर डिज़ाईन में एक ऑटोमैटिक नीडल रिट्रैक्शन मैकेनिज़्म और शरीर के फ्लुड का एक्सपोज़र रोकने के लिए सिरिंज कार्टिªज़ को रिडिज़ाईन करने तक बेसलाईन डिज़ाईन में अनेक एडिशन किए गए। पूर्ण सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए टिश्यू फैंटम पर सैकड़ों टेस्ट किए गए।’’

एपिशॉट जेम्स डायसन अवार्ड 2022 के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुँचेगा। अर्जुन बी एस और अजय कृष्णन ए का उद्देश्य स्टार्टअप के रूप में इस उत्पाद को कमर्शियलाईज़ करना है। बौद्धिक संपदा की सुरक्षा पेटेंट आवेदनों द्वारा की जा चुकी है। यह टीम एलर्जिक एवं अन्य ड्रग डिलीवरी एप्लीकेशंस में इस टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के लिए फार्मास्युटिकल पार्टनर तलाश रही है। यह टीम इंट्राडर्मल (डर्मिशॉट), सबक्यूटेनियस, और इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के साथ कंपैटिबल इसी तरह की टेक्नॉलॉजी का विकास भी कर रही है। अर्जुन (पीएचडी स्कॉलर) और अजय (प्रोजेक्ट असिस्टैंट) डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग सिस्टम्स इंजीनियरिंग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस, बैंगलोर में प्रोफेसर हार्दिक जे. पंड्या के नेतृत्व में बायोमेडिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग सिस्टम्स लैबोरेटरी लैबोरेटरी (बीस लैब) में काम करते हैं। यह लैब साईंस एवं इंजीनियरिंग में शोध के द्वारा क्लिनिकल चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिए अभिनव टेक्नॉलॉजिकल समाधानों के विकास पर केंद्रित है।

विजेताः एपिशॉट

विजेता इनोवेशन, एपिशॉट एक हाथ से ऑपरेट होने वाला ऑटोइंजेक्टर है, जो एनाफिलैक्सिस जैसी जानलेवा स्थितियों में इलाज के लिए इमरजेंसी मेडिसीन इंट्रामस्कुलर या सबक्यूटेनियस माध्यम से पहुँचाता है। यह पहली बार उपयोग किए जाने के 2 मिनट के अंदर पुनः उपयोग के लिए स्टरलाईज़ और रिलोड हो जाता है।

o   एलर्जिक रिएक्शन या एनाफिलैक्सिस एक आम मेडिकल इमरजेंसी एवं गंभीर जानलेवा रिएक्शन है। यह कुछ आम रूप से पाई जाने वाली चीजों, जैसे मूंगफली, मधुमक्खी आदि के एक्सपोज़र से सैकंडों या मिनटों में हो सकती है।

o   कई बार, यह एलर्जिक रिएक्शन इलाज न मिल पाने पर सैकंडों में ही जानलेवा हो जाती है, और श्वसन प्रणाली तेजी से लगातार खराब होती चली जाती है। हर साल एनाफिलैक्सिस के कारण कई मौतें हुआ करती हैं। एलर्जी करने वाले मुख्य एलर्जन हर आबादी में समान हैं।

o   एनाफिलैक्सिस के लिए यदि एपिनफ्राईन तत्काल नहीं दिया जाए, तो गंभीर एलर्जिक रिएक्शन एनाफिलैक्टिक शॉक में विकसित हो सकती है, जो जानलेवा हो सकता है।

इसके इस्तेमाल में आने वाली सबसे बड़ी बाधा सिंगल-टाईम यूज़ इंजेक्टर की ऊँची कीमत, स्वयं उपयोग करने पर सुरक्षा का जोखिम और इसका इस्तेमाल आसान न होना है।

विजेता अर्जुन बी एस और अजय कृष्णन ए ने एपिशॉट के विकास की चुनौती पर काम किया। इस उत्पाद को बाजार में एक सुरक्षित, पुनः उपयोग होने वाले, और इस्तेमाल में आसान जीवनरक्षक के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस डिवाईस में ड्रग एवं इंजेक्शन मैकेनिज़्म के साथ एक प्रि-फिल्ड सिरिंज कार्टिªज़ है। एपिशॉट के डिज़ाईन में अनेक बार संशोधन किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ संशोधनों के साथ प्रोटोटाईप बनाए गए हैं। विभिन्न क्लिनिकल कंसल्टेशंस द्वारा इस डिज़ाईन की शुरुआत एक सरल व पुनः उपयोग होने वाले एवं एक हाथ से ऑपरेट होने वाले ऑटोइंजेक्टर को आधार मानकर हुई, जिसके बाद इसमें भिन्न-भिन्न विशेषताओं, जैसे एक सुरक्षा कैप, ऑटोमैटिक नीडल रिट्रैक्शन मैकेनिज़्म आदि को जोड़ा गया। इस डिवाईस की उपयोगिता को टिश्यू फैंटम में सौ बार से ज्यादा बार टेस्ट किया गया। एपिशॉट के निवेशकों के लिए, इसकी सुरक्षा और पुनः उपयोगिता इसके डिज़ाईन की आधारभूत विशेषताएं हैं।

रनर अप

थर्मल फ्लोटर

समस्या: मौजूदा टेक्नॉलॉजी सौर ऊष्मा से ऊर्जा बनाने के लिए अप्रभावी विधियों का इस्तेमाल करती हैं। इनमें सौर-थर्मल फैक्ट्री बनाने के लिए काफी ज्यादा जमीन का इस्तेमाल होता है, और संघनित ऊष्मा का इस्तेमाल पानी को उबालने और भाप बनाने में करती हैं, जिससे टर्बाईन घूमती है। संरक्षण की प्रक्रिया में भी बहुत ज्यादा ऊर्जा बर्बाद होती है।

समाधान: सीबेक सिद्धांत पर काम करने वाले पेल्टियर मॉड्यूल का इस्तेमाल करके इलेक्ट्रिक करेंट बनाया जा सकता है। सीबेक इफेक्ट में बताया गया है कि जब दो असमान धातुओं को मिलाया जाता है, तो उनकी संधि पर एक जोड़ ठंडा होता है, जबकि दूसरा हिस्सा गर्म होता है, जिससे बिजली उत्पन्न की जा सकती है। पेल्टियर को काम करने और बिजली उत्पन्न करने के लिए तापमान में अंतर की जरूरत होती है, इसलिए कूलिंग की प्रणाली को हीटसिंक से जोड़ दिया जाता है, जो एक वाटर बॉडी के संपर्क में होती है, जिसकी वजह से गर्म इलेक्ट्रॉन ठंडी सतह की ओर बहते हैं। यह प्रणाली थर्मल ऊर्जा को उच्च पॉवर आउटपुट में बदलती है, और विभिन्न घरेलू डिवाईसेज़ को बिजली प्रदान करने के लिए पर्याप्त वोल्टेज प्रदान करती है। इसमें मॉड्युलर डिज़ाईन है और इसे समान मॉड्यूल्स के साथ आसानी से कनेक्ट करके उपयोग के अनुरूप पर्याप्त बिजली उत्पन्न की जा सकती है।

थर्मल फ्लोटर की शुरुआत एक विचार से हुई और इसे एक ऐसे उत्पाद में विकसित किया गया, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी के बाजार को पूरी तरह से परिवर्तित करने की सामर्थ्य है।

रनर अप

कुदरत बायोलैदर

समस्या: बचा हुआ खाना लैंडफिल्स में पहुँचता है, जहाँ यह सड़कर नुकसानदायक ग्रीनहाउस गैस, जैसे मेथेन बनाता है, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग होती है। इसी तरह से टैक्सटाईल उद्योगों से निकलने वाला फाईबर वेस्ट पानी को प्रदूषित करता है, हमारी फूड चेन में पहुँचता है, और जल एवं जमीन के जीवों को काफी ज्यादा नुकसान पहुँचाता है।

समाधानः एक नई चीज, जो रिन्यूएबल नैचुरल रिसोर्सेज़ का उपयोग करती है, और कचरा प्रबंधन में मदद करती है। कुदरत बायोलैदर सर्कुलर डिज़ाईन, सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण के प्रति सजगता पर केंद्रित है। सतत विकास के लक्ष्यों (जलवायु की ओर कार्रवाई, जल एवं जमीन पर जीवन) को ध्यान में रखकर सामग्री विकास प्रक्रिया द्वारा एक नया सतत लूप हासिल किया गया है, जिसमें समस्त कच्ची सामग्री को प्रकृति से लिया गया है, जिनमें कवक-शैवाल, पोषण से भरपूर फल/सब्जियों के छिलके हैं, जो हम फेंक दिया करते हैं। जब इनका उद्देश्य पूरा हो जाता है, तो ये फिर प्रकृति में मिल जाते हैं (बायोडिग्रेडः 8 से 12 हफ्ते)। सामग्री के विकास में बड़ी जमीन या पानी के संसाधनों की जरूरत नहीं होती और इसमें कार्बन उत्सर्जन भी नहीं हुआ करता है। यह कैमिकल-फ्री है, और इसके उत्पादन के लिए 100 डिग्री से नीचे का तापमान जरूरी है, और यह एनर्जी एफिशियंट भी है। यह टैक्सचर, लुक और फील में पारंपरिक लैदर की तरह होता है, और यह काफी शक्तिशाली, लचीला, टिकाऊ, एंटीमाईक्रोबियल, और वाटर रज़िस्टैंट है।

इसे बनाने का उद्देश्य टैक्सटाईल, लाईफस्टाईल एक्सेसरीज़, फर्नीचर एवं फुटवियर उद्योग में इसके उपयोग को बढ़ावा देना है।

जेम्स डायसन अवार्ड

जेम्स डायसन अवार्ड सर जेम्स डायसन की व्यापक प्रतिबद्धता का अंग है, जो दुनिया में परिवर्तन लाने के लिए इंजीनियर्स की शक्ति को प्रोत्साहित करता है। डायसन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी, जेम्स डायसन फाउंडेशन, और जेम्स डायसन अवार्ड उभरते हुए इंजीनियर्स को टेक्नॉलॉजी के माध्यम से जीवन में सुधार लाने के नए तरीकों की खोज करने के लिए प्रेरित करती हैं। जेम्स डायसन आज तक शिक्षा एवं अन्य चैरिटेबल कारणों से अत्याधुनिक सिद्धांतों के विकास के लिए 140 मिलियन पाउंड से ज्यादा योगदान दे चुके हैं। जेम्स डायसन अवार्ड पुरस्कार राशि के साथ 300 से ज्यादा अविष्कारों में सहयोग कर चुका है और इसका संचालन जेम्स डायसन फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, जो डायसन प्रॉफिट्स द्वारा फंडेड इंजीनियरिंग-एजुकेशन चैरिटी है।

एडिटर के लिए नोट्स

जेम्स डायसन फाउंडेशन

जेम्स डायसन अवार्ड सर जेम्स डायसन की व्यापक प्रतिबद्धता का अंग है, जो दुनिया में परिवर्तन लाने के लिए इंजीनियर्स की शक्ति को प्रोत्साहित करता है। जेम्स डायसन अवार्ड पुरस्कार राशि के साथ 300 से ज्यादा अविष्कारों में सहयोग कर चुका है और इसका संचालन जेम्स डायसन फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, जो डायसन प्रॉफिट्स द्वारा फंडेड इंजीनियरिंग-एजुकेशन चैरिटी है।

डायसन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी और फाउंडेशन के कार्य इंजीनियर्स एवं प्रॉब्लम सॉल्वर्स को अपने ज्ञान का उपयोग टेक्नॉलॉजी द्वारा जीवन में सुधार लाने के नए तरीके खोजने के लिए करने का प्रोत्साहन देते हैं। जेम्स एवं जेम्स डायसन आज तक शिक्षा एवं अन्य चैरिटेबल कारणों से अत्याधुनिक सिद्धांतों के विकास के लिए 140 मिलियन पाउंड से ज्यादा का योगदान दे चुके हैं।

स्कूल के स्तर पर जेम्स डायसन फाउंडेशन डायसन इंजीनियर्स के नेतृत्व में रोबोटिक्स वर्कशॉप चलाता है, और निशुल्क शैक्षणिक संसाधन प्रदान करता है। इनमें हाल ही में लॉन्च किया गया इंजीनियर्स सॉल्यूशंसः एयर पॉल्यूशन शामिल है, जो युवाओं को हवा के प्रदूषण से अवगत करा समाधान तलाशने में इंजीनियर्स की भूमिका तय करता है।

इस फाउंडेशन से वेबसाईट, इंस्टाग्राम, ट्विटर, और यूट्यूब के माध्यम से जुड़ा जा सकता है।

पिछले विजेता

2021 अंतर्राष्ट्रीय विजेता – होप्स (सिंगापुर)

पीड़ारहित, एट-होम आई प्रेशर टेस्टिंग की डिवाईस ग्लॉकोमा टेस्टिंग की उपलब्धता बढ़ा रही है, जो नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई है।

2021 सस्टेनेबिलिटी विजेता – प्लास्टिक स्कैनर (नीदरलैंड्स)

रिसाईक्लिंग के लिए प्लास्टिक की पहचान करने के लिए कम लागत की हैंडहेल्ड डिवाईस, जो टीयू डेल्फ्ट के जेरी डि वोस द्वारा बनाई गई है।

2021 मेडिकल विजेता – रिएक्ट (जीबी)

चाकू के वार से पीड़ित लोगों की जान बचाने में मदद करने के लिए खून को रोकने के लिए एक उपकरण, जो लोफबोरो यूनिवर्सिटी के जोसेफ बेंटली ने बनाया।

प्रतियोगिता के बारे में

विवरण

कुछ ऐसा डिज़ाईन करें, जिससे किसी समस्या का समाधान हो। यह समस्या हमारे दैनिक जीवन की हो सकती है, या वैश्विक समस्या हो सकती है। महत्वपूर्ण यह है कि विकसित किया गया समाधान प्रभावशाली हो एवं मननशील विचार को प्रदर्शित करता हो।

प्रक्रिया

प्रविष्टियों का मूल्यांकन पहले राष्ट्रीय स्तर पर जजेस का एक पैनल और डायसन इंजीनियर करते हैं। हर ऑपरेटिंग बाजार से एक राष्ट्रीय विजेता एवं दो राष्ट्रीय रनर-अप चुने जाते हैं। इन विजेताओं में से डायसन इंजीनियरों का एक पैनल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 20 प्रविष्टियों का चयन करता है। इसके बाद शीर्ष 20 प्रोजेक्ट्स की समीक्षा सर जेम्स डायसन करते हैं, जो अपना अपने अंतर्राष्ट्रीय विजेताओं का चयन करते हैं।

पुरस्कार

o   सर जेम्स डायसन द्वारा चुने गए अंतर्राष्ट्रीय विजेताओं को 30,000 पाउंड तक का पुरस्कार दिया जाता है।

o   अंतर्राष्ट्रीय रनर-अप्स को 5,000 पाउंड तक का पुरस्कार दिया जाता है।

o   हर राष्ट्रीय विजेता को 5,000 पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है।

प्रवेश कैसे करें

प्रत्याशी जेम्स डायसन अवार्ड की वेबसाईट के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं।

आवेदकों को विवरण देना होगा कि उनका प्रयास क्या है, यह कैसे काम करता है, और इसके विकास की प्रक्रिया क्या है। सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियां कोई वास्तविक समस्या सुलझाती हैं, उनकी स्पष्ट व्याख्या की गई होती है, वो पुनरावृत्तियों के साथ विकास प्रदर्शित करती हैं, प्रोटोटाईपिंग के प्रमाण देती हैं, और उनके साथ सपोर्टिव इमेजरी एवं वीडियो होते हैं।

सभी जज कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप प्रोटोटाईपिंग और उत्पाद विकास की सीमाओं को ध्यान में रखेंगे।

पात्रता के मानदंड

आवेदकों को किसी इंजीनियरिंग/डिज़ाईन संबंधी कोर्स में अंडरग्रेजुएशन या ग्रेजुएशन के कम से कम एक सेमेस्टर में नामांकित होना या पिछले चार सालों में नामांकित होना जरूरी है। यह कोर्स जेम्स डायसन अवार्ड में भाग लेने के लिए चुने गए क्षेत्र या देश में विश्वविद्यालय के स्तर पर होना चाहिए।

टीम की प्रविष्टियों में सभी सदस्यों को जेम्स डायसन अवार्ड में भाग लेने के लिए चुने गए क्षेत्र या देश में विश्वविद्यालय के स्तर पर किसी इंजीनियरिंग/डिज़ाईन संबंधी कोर्स में अंडरग्रेजुएशन या ग्रेजुएशन के कम से कम एक सेमेस्टर में नामांकित होना या पिछले चार सालों में नामांकित होना जरूरी है। टीम के कम से कम एक सदस्य को इंजीनियरिंग या डिज़ाईन में योग्य विषय में अध्ययन किया गया होना जरूरी है। लेवल 6 और लेवल 7 में डिग्री स्तर की एप्रेंटिसशिप में भाग लेने वाले, और जिन्होंने पिछले चार सालों में एप्रेंटिसशिप पूरी की है, वो सभी अवार्ड में हिस्सा लेने के पात्र हैं।

अन्य सवालों के लिए जेम्स डायसन अवार्ड की वेबसाईट पर जाएं।