झारखंड राजनीतिक संकट: राज्यपाल रमेश बैस की चुप्पी पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी और रावत के बयान

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (03/09/2022): झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर राज्य में एक हफ्ते से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस पर राज्यपाल रमेश बैस चुप्पी साधे हुए हैं। उनके इस चुप्पी से झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मचा हुआ है। वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायकों के खरीद-फरोख्त के डर से अपने 33 विधायकों के साथ रायपुर में डेरा जमाए हुए हैं। ये 33 विधायकों में से 19 झामुमो के, 13 कांग्रेस के और 1 राजद के विधायक शामिल हैं। सभी विधायक एयरक्राफ्ट के जरिए रायपुर पहुंचे थे।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि “ECI को अपनी सिफारिश भेजे एक सप्ताह हो गया है। ये सिफारिश राज्यपाल रमेश बैस की निजी संपत्ति नहीं है। हालांकि, इसकी कोई समय सीमा नहीं है। राज्यपाल से उचित तत्परता के साथ इस पर कार्रवाई करने की अपेक्षा किया जा सकता है। ECI की अंतिम सिफारिश है। अल्पविराम भी नहीं है। इसे फुल स्टॉप में नहीं बदला जा सकता। अधिसूचना जारी करने में राज्यपाल की देरी झारखंड में अस्थिरता पैदा कर रही है।”

इस मामले में पूर्व CEC ओपी रावत ने आज तक से कहा कि “कानूनी तौर पर कोई समय सीमा नहीं है, जिसके तहत राज्यपाल बाध्य हों। लेकिन आमतौर पर राज्यपाल सिफारिश मिलने के 2-3 दिनों के भीतर निर्णय/अधिसूचना जारी करते हैं।” उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका के बारे में कहा कि “चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है (राज्यपाल को अपनी राय देने के बाद)। अगर मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित किया जाता है तो सरकार नहीं गिरेगी।”

आपको बता दें संविधान के अनुच्छेद 192 (2) के अनुसार: इस तरह के किसी भी मसले (विधायकों की अयोग्यता) पर कोई निर्णय करने से पहले राज्यपाल चुनाव आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।