टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (28/08/2022): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के भुज में विभिन्न विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया है। इस मौके पर उनके साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल मौजूद रहे। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज मन बहुत सारी भावनाओं से भरा हुआ है। भुज में स्मृतिवन स्मारक और अंजार में वीर बालक स्मारक का लोकार्पण कच्छ की, गुजरात की और पूरे देश की साझी वेदना का प्रतीक है। इनके निर्माण में सिर्फ पसीना ही नहीं बल्कि कितने ही परिवारों के आंसुओं ने भी इसके पत्थरों को सींचा है।
उन्होंने कहा कि आज कच्छ के विकास से जुड़े 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के अन्य प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इनमें पानी, बिजली, सड़क और डेयरी से जुड़े प्रोजेक्ट हैं। ये गुजरात के कच्छ के विकास के लिए डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि “2001 में पूरी तरह तबाह होने के बाद से कच्छ में जो काम हुए हैं, वो अकल्पनीय हैं। कच्छ में 2003 में क्रांतिगुरू श्यामजी कृष्णवर्मा यूनिवर्सिटी बनी तो वहीं 35 से भी ज्यादा नए कॉलेजों की भी स्थापना की गई है।”
“26 जनवरी जब कच्छ में भूकंप जब आया था तब मैं दिल्ली में था और उसके दूसरे दिन ही मैं कच्छ पहुंच गया था। तब मैं सीएम नहीं था एक साधारण सा कार्यकर्ता था। मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे और कितने लोगों की मदद कर पाऊंगा। लेकिन मैंने ये तय किया कि मैं यहां आप सबके बीच में रहूंगा। मुश्किल भरे उन दिनों में मैंने बड़े आत्मविश्वास से कहा था कि ‘हम आपदा को अवसर में बदल के रहेंगे। मैंने ये भी कहा था कि आपको जो ‘रण’ दिखता है, मुझे उसमें भारत का ‘तोरण’ दिखता है। आज मैं कहता हूं कि 2047 में भारत ‘विकसित देश’ बनेगा।”
उन्होंने कहा कि “एक दौर था जब गुजरात पर एक के बाद एक संकट आ रहे थे। प्राकृतिक आपदा से गुजरात निपट ही रहा था, कि साजिशों का दौर शुरू हो गया। देश और दुनिया में गुजरात को बदनाम करने के लिए, यहां निवेश को रोकने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गईं। ऐसी स्थिति में भी गुजरात देश में आपदा प्रबंधन एक्ट बनाने वाला पहला राज्य बना। इसी एक्ट की प्रेरणा से पूरे देश के लिए भी ऐसा ही कानून बना।”
उन्होंने कहा कि “कच्छ का विकास, सबका प्रयास से सार्थक परिवर्तन का एक उत्तम उदाहरण है। कच्छ सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि ये एक स्पिरिट है, एक जीती-जागती भावना है। ये वो भावना है, जो हमें आजादी के अमृतकाल के विराट संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाती है।”