“नौकरस्याही के रंग” के अनुभवो से सीख लेकर असंभव को संभव बनाया जा सकता है: डॉ ज्ञानेश्वर मुले (पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार)

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (25/08/2022): 23 अगस्त, 2022, मंगलवार को भारत सरकार के पूर्व विदेश सचिव एवं चर्चित लेखक डॉ ज्ञानेश्वर मुले द्वारा लिखित पुस्तक “नौकरस्याही के रंग” का विमोचन नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि में रूप में नितिन गडकरी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार; विशिष्ट अतिथि के रूप में सच्चिनन्द जोशी, सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र; अंजू शरण उपाध्याय, प्रोफेसर एमआईटी; उपस्थित रहे।

 

डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने अपनी पुस्तक नौकरस्याही के रंग के विमोचन पर कहा कि हर एक मराठी व्यक्ति की एक खासियत होती है, उन्हें साहित्य और संगीत में रूचि होती है।

 

आगे डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने अपनी पुस्तक “नौकरस्याही के रंग” के बारे में बात करते हुए कहा कि यह पुस्तक मैंने 2007 से पहले लिखी थी, और इस पुस्तक को मैंने अपने जीवन के तीन चरण के आधार पर लिखा है। जिसमें मेरा पहला जाॅब जापान का अनुभव है, दूसरा अनुभव दिल्ली की जाॅब और तीसरा अनुभव में संविधान व राजनीतिक अनुभव शामिल है, और‌ साथ ही इस पुस्तक में कुछ कविताएं भी लिखी गई है।

 

अंत में डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने अपनी पुस्तक “नौकरस्याही के रंग” के विमोचन पर कहा यह पुस्तक लिखने का मेरा एक ही उद्देश्य था कि जब मुझे जैसा एक समान्य पृष्ठभूमि का ग्रामीण लड़का अपने अनुभव से सीखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशासनिक सेवा में जा सकता है, तो आप सब भी अनुभवों से सीखकर जीवन में अवश्य ही कुछ हासिल कर सकते हैं। जीवन में अनुभवो से सीख लेकर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है, डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने प्रशासनिक अधिकारी होने के बाद भी नौकरस्याही के रंग जैसी अनमोल पुस्तक को अपने जीवन के आधारित अनुभुवों के आधार पर लिखा। यह हम सभी के लिए वाकई ही गर्व की बात है। मुझे बहुत खुशी है कि आपकी पुस्तक “नौकरस्याही के रंग” में आपके अनुभवों ने आप को बहुत कुछ सिखाया। और आप के माता पिता और शिक्षकों के संस्कारों ने आपके साहित्य और कविताओं में रूचि निर्माण करके आपकी साहित्य की गुणवत्ता को बढ़ाया। और प्रशासकीय अनुभव में संवेदनशीलता के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपके अनुभवों ने लेखन नौकरस्याही के रंग को और परिपक्व बनाया और आप के लेखन नौकरशाही के रंग को जब आने वाली पीढ़ी जो प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहती है, उसके लिए आपके द्वारा लिखित पुस्तक नौकरस्याही के रंग से बहुत उपयोगी होगी।

 

आगे नितिन गडकरी ने कहा हमारे बीच कोई पूर्णांक नहीं है, हम सब अपूर्णांक है क्योंकि इंसान को जीवन में हर एक छोटे से छोटे अनुभव से सिखने को मिलता है। और जो हम अनुभवों से सिखते है, वहीं हमारे जीवन की पूंजी होती है।।