टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (16/08/2022): भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कल सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। और उनसे आग्रह किया है कि स्कूली छात्रों को उनके इतिहास के पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में ’14 अगस्त- विभाजन भयावह स्मृति दिवस’ के महत्व को पढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने पत्र में कहा, “विभाजन की त्रासदी केवल स्मृति दिवस नहीं वरन अपने देश के नौनिहालों को सम्पूर्ण विभाजन की विभीषिका का तथ्यात्मक ज्ञान देने के लिये उनके पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिये। भारत विभाजन की विभीषिका मेरे ज्ञान के अनुसार विश्व इतिहास की सर्वाधिक क्रूरतापूर्ण घटना थी। जिसमें लगभग 10 लाख लोगों की जान गई लगभग 70 लाख लोगों को अपना घरद्वार, जमीन ज्यादाद छोड़ना पड़ा। माताओं बहनों बेटियाँ की इज्जत लूटी गई।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा कि विभाजन की पीड़ा को कभी नहीं भूला जा सकता, विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष मनाने से हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिये न केवल प्रेरित करेगा वरन् राष्ट्रीय एकता, सामाजिक भेदभाव और मानवीय संवेदनायें भी मजबूत होगी। ”
उन्होंने कहा कि “इतिहास को याद रखने से भविष्य के लिये अतीत की गलतियों को पुनः न दोहराने की सीख मिलती है, और जो व्यक्ति समाज या राष्ट्र इतिहास की भूलों से सीख नहीं लेते वह बाद में पश्चाताप करते हैं। देश की अधिकांश आबादी का जन्म आजादी के बाद हुआ है, देश का विभाजन क्यों हुआ, विभाजन के पीछे पृष्ठभूमि क्या थी, विभाजन का दंश जो लाखों लोगों नो झेला वास्तव में उसकी हकीकत क्या थी, विभाजन के लिये कौन से लोग उत्तरदायी थे लोगों के पास विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर सटीक जानकारी देने के लिये कोई तथ्यात्मक साहित्य उपलब्ध नहीं है।”
उन्होंने कहा कि “सत्य तो यह है कि हम अभी भी उन्हीं ऐतिहासिक तथ्यों पर निर्भर हैं जो यूरोपीय अथवा देश के कुटिल मानसिकता वाले इतिहासकोरों ने अपने दृष्टिकोण से लिखे है। यही कारण है कि इतिहास की पुस्तकों में विभाजन के इतिहास की त्रासदी को दो चार पक्तियों या एक दो पैराग्राफ में समेट दिया जाता है। यह भी सत्य है कि इतिहास हमारे अतीत को जानने वर्तमान को समझने एवं भविष्य को सुधारने का सबसे सवल माध्यम होता है।”
उन्होंने कहा कि “मेरी दृष्टि में विश्व की सर्वाधिक क्रूरतम घटना का सम्पूर्ण प्रमाणिक ज्ञान भारत की वर्तमान व भविष्य की पीढ़ी को अवश्य होनी चाहिये। यह तभी सम्भव है जब विभाजन की विभीषिका का तथ्यात्मक सम्पूर्ण चित्र इतिहास के पाठ्यक्रम में जोड़ा जायेगा और बच्चों को पढ़ाया जायेगा।”