टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (8/08/2022)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी सोमवार को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के कार्यकाल की समाप्ति पर सदन को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने सदन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की योगदान को याद करते हुए कहा कि आज हम राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को उनके कार्यकाल की समाप्ति पर, उन्हें धन्यवाद देने के लिए एकत्र हुए हैं। इस सदन के लिए ये बहुत भावुक पल है। सदन के कितने ही ऐतिहासिक पल आपकी गरिमामई उपस्थिति से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में आज जब देश अपने अगले 25 वर्षों की नई यात्रा शुरू कर रहा है। तब देश का नेतृत्व भी एक तरह से एक नए युग के हाथों में हैं। हम जानते हैं कि इस बार हम ऐसी 15 अगस्त मना रहे हैं, जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री सब के सब वो लोग हैं, जो आजाद भारत में पैदा हुए और सब के सब बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं।
उन्होंने वेंकैया नायडू को संबोधित करते हुए कहा कि आप तो देश के एक ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जिसने अपनी सभी भूमिकाओं में हमेशा युवाओं के लिए काम किया है। आपने सदन में भी हमेशा युवा सांसदो को आगे बढ़ाया और उन्हें प्रोत्साहन दिया। उपराष्ट्रपति के रूप में आपने सदन के बाहर जो भाषण दिए, उनमें करीब 25% युवाओं के बीच में रहे हैं। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मेरा ये सौभाग्य रहा है कि मैंने बड़े निकट से आपको अलग अलग भूमिकाओं में देखा है। आपकी बहुत सारी भूमिकाएं ऐसी भी रही, जिसमें आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का भी मुझे सौभाग्य मिला है। उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति के रूप में आपकी गरीमा और निष्ठा, मैंने आपको अलग अलग जिम्मेदारियों में बड़ी लगन से काम करते हुए देखा है। आपने कभी भी किसी काम को बोझ नहीं माना। आपने हर काम में नए प्राण फूंकने का प्रयास किया है। आपका ये जज्बा और लगन हम लोगों ने निरंतर देखी है। मैं प्रत्येक सांसद और देश के हर युवा से कहना चाहूंगा कि वो समाज, देश और लोकतंत्र के बारे में आपसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
उन्होंने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि आपकी किताबों में आपकी वो शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके वन-लाइनर्स, विद-लाइनर्स होते हैं। उनके बाद कुछ कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती।
उन्होंने मातृभाषा का जिक्र करते हुए कहा कि ” कैसे कोई अपनी भाषा की ताकत के रूप में सहजता से इस सामर्थ्य के लिए जाना जाए और उस कौशल से स्थितियों को बदलने की सामर्थ्य रखे, ऐसे आपके सामर्थ्य को मैं बधाई देता हूं। आप कहते हैं कि मातृभाषा आंखों की रोशनी की तरह होती है, और दूसरी भाषा चश्मे की तरह होती है। ऐसी भावना हृदय की गहराई से ही बाहर आती है। आपकी मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है। उन्होंने कहा कि वेंकैया जी की मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है। आपने सदन में सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ने के लिए काम किया। सदन में हमारी सभी 22 शेड्यूल भाषाओं में कोई भी सदस्य बोल सकता है, उसका इंतजाम आपने किया।”
उन्होंने आखिर में कहा कि “आपकी ये प्रतिभा और निष्ठा आगे भी सदन के लिए एक गाइड के रूप में हमेशा काम करेगी। कैसे संसदीय और शिष्ट तरीके से भाषा की मर्यादा में कोई भी अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकता है। इसके लिए आप प्रेरणा पुंज बने रहेंगे।”