हिन्दू संघर्ष समिति ने जंतर-मंतर पर श्रीलंका में हुए नरसंहार और हिंदुओं के अत्याचार के खिलाफ किया प्रदर्शन

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (24/07/22): हिंदू संघर्ष समिति ने शनिवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर श्रीलंका में हुए नरसंहार और हिंदुओं के अत्याचार के खिलाफ एक सांकेतिक धरना का आयोजन किया गया। धरने में शामिल लोगों ने कहा कि जिस तरीके से श्रीलंका में हिंदुओं का अत्याचार हो रहा है एवं दक्षिणी भारत के लोगों का श्रीलंका में अत्याचार हो रहा है इसे जल्द से जल्द रोका जाए।

सांकेतिक धरने में पोस्टर का श्रीलंका में हुए नरसंहार को ब्लैक जुलाई के रूप में दर्शाया गया। धरना का अध्यक्षता करते हुए नरेश ने कहा की हिंदू संघर्ष समिति ने तय किया है कि श्रीलंका के इस दुर्भावनापूर्ण रवैये के प्रति हम सांकेतिक विरोध जताएं और निम्नलिखित मांगों पर यथाशीघ्र कार्यवाही के प्रति आशावान रहें।

 

हमारी मांग है कि द्विपक्षीय संबंधों में श्रीलंका को भारत का उचित मान-सम्मान करना चाहिये तथा श्रीलंका के हिन्दू समुदाय को मुख्यधारा में शामिल कर उन्हें उचित राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक सहभागिता देनी चाहियें। भारत सरकार से पूर्व में किए गए समझौतों का पूर्ण पालन करना चाहिए। भारत के व्यापारिक संस्थानों को श्रीलंका में उचित वातावरण प्रदान करना चाहिये ।

युद्ध अपराध और ‘ब्लैक जुलाई’ के पीड़ितों को तुरंत उचित मुआवज़ा देकर उन्हें राहत पहुंचानी चाहिए। भारत के तमिलनाडु में सौ से ज़्यादा कैम्पो में रह रहे तमिल शरणार्थियों की नागरिकता की समस्या का तुरंत समाधान किया जाना चाहियें ताकि वो एक बेहतर जीवन पा सके।

 

दक्षणी भारत से आए लोगों ने कहा की श्रीलंका के मूल निवासी तमिल हिन्दूओं के साथ साथ भारत के खिलाफ भी रहा है। जबकि भारत सदैव श्रीलंका का मित्र रहा है और वर्तमान में भारत ने सबसे ज़्यादा सहायता श्रीलंका को दी है। इस बात के बावजूद कि श्रीलंका ने आज तक नेहरू , लालबहादुर शास्त्री , इंदिरा गॉंधी , राजीव गॉंधी व अन्य के साथ हुये किसी भी द्विपक्षीय समझौता का कोई आदर नहीं किया है और किसी भी समझौते का आज तक पूर्ण पालन नहीं हुआ है।

आशा करते हैं कि श्रीलंका का नया नेतृत्व वहाँ समुचित संवैधानिक सुधार करेगा अगर वो एक नई संविधान सभा का गठन कर वहाँ के सभी जातीय समूह को उचित सहभागिता देकर एक भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुझायें गये सर्व समावेशी सहयोगी संघवाद आधारित लोकतांत्रिक प्रकिया को अपनायें तो बहुत ही बेहतर होगा।