टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (18/07/2022): एक उम्र के बाद आपसी तालमेल ही महत्त्व रखता है ।
सुष्मिता सेन के पास स्वयं भी पैसों की कमी नहीं है, दो गोद ली हुई लड़कियों का भी वो बरसों से लालन पालन अकेले कर रही है ।
उसके संबंध जिससे भी रहे हों लेकिन उसका असर उसने अपनी बेटियों पर नहीं पड़ने दिया, अच्छी लाइफ स्टाइल उन्हें देती रही है ।
जनता कौन होती है उसे ये बताने वाली कि वो किस इंसान से दोस्ती या मुहब्बत करे… ?
लड़का हैंडसम एवं कम उम्र का होता तो भी लोग बात बनाते, अब भी बना रहे हैं…लड़का कम पैसे वाला होता तो भी लोग कहते कि लड़के ने सुष को फंसा लिया, इश्क़ में अंधी हो गई । किसी मुस्लिम लड़के से रिश्ता रखती तो भी लोग गालियां देते, अब भी निचले स्तर पर जा कर फब्तियाँ कस रहे हैं ।
हर इंसान का एक निश्चित दायरा होता है, उसी दायरे के लोगों के साथ उसका उठना बैठना होता है, उन्हीं में से कोई एक ज़्यादा क़रीब आ जाता है, ये तो बहुत स्वाभाविक बात है ।
उम्र तो दोनों की ही कम नहीं है, इस उम्र में एक दूसरे का सहारा बन भी जाएं, तो क्या बुराई है ? दोनों परिपक्व हैं, अकेले हैं और बरसों से एक दूसरे को जानते हैं…दोस्त रहे हैं तो एक दूसरे को समझते भी हैं ।
पैसा एक फैक्टर हो सकता है लेकिन वो तो हम अरेंज मैरिज में भी देखते हैं, बेरोज़गार से अपनी बेटी की शादी कौन करता है ? रोज़गार हो तो भी बराबर की हैसियत का खानदान तलाशा जाता है ।
लड़के वाले भी सुंदर बहु ही तलाशते हैं, चाहे ख़ुद का बेटा बेरोज़गार हो, अफ्रीका के जंगल में पैदा हुआ हो, चालचलन ख़राब हो…और ऐसे लड़कों को सुंदर सुशील कन्या मिल भी जाती है, तो एक अमीर एवं सामान्य दिखने वाले को अति सुंदर कन्या मिल भी गई तो इतना हो हल्ला क्यों ?
जिनसे अपने घर के जवान बच्चे नहीं संभलते, वे भी छींटाकशी तो करेंगे ही…
आपसी तालमेल अच्छा होना चाहिए, शक़्ल सूरत से रिश्ते चलते तो ऋतिक रोशन का तलाक न होता और शाहरुख खान की शादी टूट गई होती।
By ममता लड़ीवाल,
कवियत्री