नए संसद भवन के छत पर लगे अशोक स्तंभ सवालों के घेरे में, एनसीपी बोली इतिहास के साथ हुआ छेड़ छाड़

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (14/07/22): दिल्ली का केंद्र कहे जाने वाले लुटियंस दिल्ली के कायाकल्प को बदलने के लिए 2 सालों से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पूर्ण विकास योजना चल रही है। जब से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत लुटियंस दिल्ली की तस्वीर बदलने की शुरुआत हुई तभी से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में है।

20 हजार करोड़ रुपए की लागत से बन रहा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर विपक्ष समय-समय पर सवाल उठाती रही है।पूर्व में विपक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा था कि जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है तब क्या जरूरत है पुरानी इमारतों को तोड़कर नई इमारत बनाने की। वहीं सरकार का दावा है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत जो विकास कार्य किए जा रहे हैं वह भविष्य को देखते हुए किया जा रहा है। नए संसद भवन का निर्माण इसलिए किया जा रहा है क्योंकि भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ेगी इसे देखते हुए नए संसद भवन का निर्माण चल रहा है।

वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने अशोक स्तंभ का अनावरण किया, तभी से विपक्ष लगातार सवाल उठा रही है कि सरकार इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रही। संसद भवन के छत पर लगा अशोक स्तंभ में शेर का मुंह खुला हुआ है बल्कि इतिहास के किताबों में शेर का मुंह बंद है। वहीं सरकार का दावा है कि जब भी देश हित और राष्ट्र हित में सरकार कोई कार्य करती है तो विपक्ष उस पर सवाल खड़े करती यह विपक्ष की मानसिकता को दर्शाती है।

 

नए संसद भवन के छत पर लगे अशोक स्तंभ पर उठे विवाद के दौरान टेन न्यूज़ ने एनसीपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष योगानंद शास्त्री से इसी मुद्दे पर बातचीत की। शास्त्री पुराने इतिहासकार रहे हैं उनका साफ तौर पर कहना है कि ने संसद भवन के छत पर जो अशोक स्तंभ लगा है वह उसका रौद्र रूप है, बल्कि इतिहास के पन्नों में शेर का शांत रूप दर्शाया गया है। शास्त्री ने कहा कि प्रधानमंत्री एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस मुद्दे पर वह खुद संज्ञान लें।

योगानंद शास्त्री ने शहरी विकास मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह इनकी गलती इन्हें जिस पर बारीकी से अध्ययन करने की जरूरत थी इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई गलती नहीं है। अशोक स्तंभ में देश की बहुत बड़ी लागत लगी है इसे किसी सुरक्षित स्थानों पर रख दिया जाए और नए संसद भवन के छत पर नया अशोक स्तंभ लगाया जाए।

आपको बतादें की 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट विकास योजना का काम लगभग पूरा हो गया है। वहीं सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनने वाला 1000 करोड रुपए की लागत से नया संसद भवन का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत डेवलप किए गए राजपथ का इलाका आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने दावा किया है आने वाला सदन का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में आयोजित की जाएगी।।