टेन न्यूज नेटवर्क,
नई दिल्ली, 05/07/22
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के तरफ से विधायकों के वेतन बढ़ाने के संदर्म में विधानसभा में लाए गए बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा की युवाओं को रोजगार नहीं मिला और केजरीवाल सरकार नेताओं का सैलरी बढ़ा रही है।
अनील भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस केजरीवाल सरकार के उस दावे को पूरी तरह खारिज करती है जिसमें उन्होंने 10.21 लाख युवाओं को जॉब पोर्टल के जरिए रोजगार देने की बात कही है। उन्होंने पूछा कि सरकार यह बताये कि किन क्षेत्रों में यह रोजगार दिए है, क्योंकि कोविड महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के कारण दिल्ली में बेरोजगारी का औसत खतरनाक स्तर पर पहुच गया है, जबकि केजरीवाल सरकार 10 लाख रोजगार देने का झूठा दावा कर रही है।
कांग्रेस मांग करती है मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने, मनरेगा की तर्ज पर शहरी गांरटी रोजगार योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता देने और दिल्ली लगभग 66 हजार अस्थायी अनुबंधित गेस्ट टीचर, वोकेशनल टीचर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, नर्स, डाक्टर, पेरामेडिकल स्टॉफ और अन्य कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए तुरंत प्रभाव से योजना बनाए।
2015 में आम आदमी पार्टी ने 8 लाख रोजगार देने का वायदा किया था, परंतु केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद रोजगार निदेशालय के द्वारा 440 सरकारी पद भरे है जबकि 3896 युवाओं को रोजगार बाजार पोर्टल के माध्यम से रोजगार मिले है। उन्होंने कहा कि The Hindu अखबार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दिल्ली सरकार ने मात्र 12558 नौकरी उपलब्ध कराई है, 10 लाख नौकरी देने का दावा भ्रामक और राजनीति से प्रेरित है।
दिल्ली सरकार को विधानसभा के मानसून सत्र में विधायकों के वेतन वृद्धि के एजेंडे के अलावा जनहित, जनकल्याण, महंगाई, बेरोजगारी और दिल्लीवासियों के हितों से किसी विषय को नही जोड़ा गया क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल राजधानी के युवाओं सहित दिल्लीवालों को सपने दिखाते है उन्हें पूरा करने के लिए कोई परिपक्व योजना अभी तक लागू नही की।
अनिल भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को विधायकों का वेतन बढ़ाने की चिंता है जबकि दिल्ली की प्रमुख चिंता युवाओं को रोजगार देने की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र में बेरोजगारी पर चर्चा करने के साथ युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का निर्णय लेना चाहिए था, क्योंकि केजरीवाल ने उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनावों में युवाओं को 5000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया था। अगर वे सत्ता में चुने जाते हैं तो उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया प्रतिमाह दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में इस वादे को लागू क्यों नही किया जबकि दिल्ली सरकार के पास सरप्लस बजट है।