हस्तशिल्प क्षेत्रों को एक नए और महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाए: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (1 जुलाई 2022): हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) द्वारा आयोजित 23वें हस्तशिल्प निर्यात पुरस्कार समारोह में कुल 126 निर्यातकों को उनके द्वारा हस्तशिल्प के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहें।

मंच से सभागार में मौजूद सभी निर्यातकों एवं EPCH के अधिकारियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ” हस्तशिल्प क्षेत्रों को एक नए और महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाए और देश को 2021-22 में निर्यात में हासिल 29 प्रतिशत की वृद्धि से संतुष्ट नहीं होना चाहिए।”

 

आगे अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “2020-21 में 25,680 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प निर्यात का बढ़कर 2021-22 में 33,253 करोड़ रुपये हो जाना कोई अंतिम लक्ष्य (बेंचमार्क) नहीं होना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में अपने निर्यात लक्ष्यों को और बढ़ाने की जबरदस्त क्षमता है। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं से एक ऐसा परितंत्र बनाने के लिए गुणवत्ता, निरंतरता, डिजाइन और ब्रांडिंग पर जोर देने का आह्वान किया जहां इस क्षेत्र में कई गुना वृद्धि संभव हो सके। सौर चरखे सहित कई उदाहरणों का हवाला देते हुए केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने निर्यातकों से इस क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।”

श्री गोयल ने तिरुपुर के तेजी से विकास का हवाला दिया, “जो हाल के दशकों में नाटकीय रूप से बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प के निर्यात में बड़ी छलांग लग सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भारत के हथकरघा क्षेत्र के ब्रांड एंबेसडर हैं क्योंकि उन्हें कलात्मक रूप से बुनी हुई पोशाक पहने हुए देखा जाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अन्य देशों की यात्रा के दौरान ज्यादातर भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों को उपहार में दिया जाता है। विदेशों में लगभग 200 भारतीय मिशन भी ऐसा ही करते हैं।”

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “कपड़ा मंत्रालय के पास 30 लाख कारीगरों का एक डेटाबेस है और अगर हम कारीगरों की आय में 1000 रुपये प्रति माह की भी वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो यह उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि कारीगरों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) से जोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही, जीएसटी पंजीकरण के अनिवार्य हिस्से को संशोधित किया जा सकता है ताकि कारीगरों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से उत्पन्न बड़े अवसर पर जोर देते हुए श्री गोयल ने सुझाव दिया कि कारीगरों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और खरीदार-विक्रेता बैठक आयोजित करने के लिए दुबई एक्सपो सेंटर में एक मंच प्रदान किया जा सकता है।”

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यात के संवर्द्धन और उसे बढ़ावा देने के लिए पिछले साढ़े तीन दशकों से ईपीसीएच के कामकाज की भी सराहना की।

 

पुरस्कार समारोह में वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान निर्यातकों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। इस समारोह में ईपीसीएच के अध्यक्ष राज के मल्होत्रा, ईपीसीएच के उपाध्यक्ष कमल सोनी, ईपीसीएच के महानिदेशक और इंडिया एक्सपोज़िशन मार्ट लिमिटेड के अध्यक्ष राकेश कुमार और ईपीसीएच की प्रशासन समिति के सदस्यों सहित देश भर से आए हस्तशिल्प निर्यातकों की बड़ी मौजूदगी देखी गई।

केंद्रीय कपड़ा और रेल राज्य मंत्री दर्शना विक्रम जरदोश के साथ केंद्रीय मंत्री गोयल ने पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर कपड़ा मंत्रालय में सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह भी उपस्थित थे। इस पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता शांतमनु, आईएएस, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार ने की।

केंद्रीय कपड़ा और रेल राज्य मंत्री दर्शना विक्रम जरदोश ने कहा कि “कारीगरों को बढ़ावा देना और उनकी मदद करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईपीसीएच की इस बात के लिए सराहना की कि वह अपनी प्रदर्शनियों के माध्यम से छोटे कारीगरों को बढ़ावा देना सुनिश्चित करता है।”

उपेंद्र प्रसाद सिंह, आईएएस, सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार ने विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान भी हस्तशिल्प निर्यात में वृद्धि जारी रही। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश में लगभग 70 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तशिल्प से जुड़े हैं।

 

ईपीसीएच के अध्यक्ष राज कुमार मल्होत्रा ​​ने बताया कि वर्ष 2017-18 के 61 विजेताओं और वर्ष 2018-19 के 65 विजेताओं को मिलाकर कुल 126 पुरस्कार दिए गए। विशेष प्रशस्ति पुरस्कार भी दिया गया। इन पुरस्कारों को 1989 में शुरू किया गया था, इसके तहत चार व्यापक श्रेणियों – शीर्ष निर्यात पुरस्कार, उत्पाद समूह-वार पुरस्कार, क्षेत्रीय पुरस्कार और महिला उद्यमी पुरस्कार में निर्यातकों को पुरस्कृत किया जाता है। इसमें कुल मिलाकर 39 ट्राफियां, 3 प्लेटिनम प्रदर्शक प्रमाण पत्र, 72 योग्यता प्रमाण पत्र, 11 महिला उद्यमी पुरस्कार और 1 विशेष प्रशस्ति पुरस्कार शामिल हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य निर्यातकों के बीच स्वस्थ और पूर्ण प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करना है। इन वर्षों में, ये पुरस्कार हस्तशिल्प निर्यातकों के बीच एक प्रतिष्ठित पहचान बन गए हैं क्योंकि इन पुरस्कारों में अपना स्थान हासिल करने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए जा रहे हैं।

ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ राकेश कुमार शर्मा ने गणमान्य व्यक्तियों को उनकी उपस्थिति, प्रोत्साहन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि महामारी के कारण, निर्यात पुरस्कार समारोह तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है, इसलिए इसमें पिछले लगातार दो वर्षों के विजेताओं को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

ईपीसीएच देश से विश्व के अन्य देशों में हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प वस्तुओं और सेवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि पेश करने के लिए एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2021-22 के दौरान 33253.00 करोड़ रुपये (4459.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हस्तशिल्प निर्यात दर्ज किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 29.49 प्रतिशत और डॉलर के संदर्भ में 28.90 प्रतिशत की वृद्धि है।

हस्तशिल्प के लिए निर्यात संवर्द्धन परिषद (ईपीसीएच) उन निर्यातकों को सम्मानित करने के लिए 1989 से निर्यात पुरस्कारों का आयोजन कर रही है जिन्होंने देश में हस्तशिल्प के विकास के साथ-साथ उनके निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन पुरस्कारों की स्थापना को ईपीसीएच के उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक कहा जाता है।

हस्तशिल्प निर्यात पुरस्कारों का उद्देश्य निर्यातकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करना और ऐसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों की स्थापना के माध्यम से पूर्ण प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना है। ये पुरस्कार हस्तशिल्प निर्यातकों के बीच एक प्रतिष्ठित पहचान बन गए हैं और अधिक से अधिक निर्यातक इस पुरस्कार को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसी के कारण देश से हस्तशिल्प के निर्यात में भारी उछाल आया है।

ये निर्यात पुरस्कार चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा विधिवत प्रमाणित निर्यातकों के निर्यात प्रदर्शन के आधार पर दिए जाते हैं। इनका चयन विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) या उनके द्वारा नामित (अतिरिक्त विकास आयुक्त-हस्तशिल्प) की अध्यक्षता में निर्यात पुरस्कार चयन समिति और परिषद की प्रशासन समिति के सदस्य करते हैं।

हस्तशिल्प के निर्यातकों को उनके निर्यात प्रदर्शन के आधार पर पांच प्रकार के पुरस्कार दिए जाते हैं। ये पांच पुरस्कार – शीर्ष निर्यात पुरस्कार (सभी हस्तशिल्प); शीर्ष निर्यात पुरस्कार (उत्पाद श्रेणियां), महिला उद्यमी पुरस्कार, उत्कृष्ट निर्यात वृद्धि के लिए योग्यता प्रमाणपत्र और क्षेत्रीय निर्यात पुरस्कार हैं।

 

 

23rd EPCH Award Function To Honour Best Performing Handicrafts Exporters Of India | Video Highlights