टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (२७ जून २०२२): प्रत्येक व्यक्ति की यह हार्दिक इच्छा होती है की वह अपने जीवन में सफल हो, सफलता एवं कामयाबी की एक मिसाल कायम करें। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में धन,पद ,नाम एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करने को इच्छुक होता है। लेकिन सफलता उसे ही मिलती है जिसके पास दृढ़ इच्छाशक्ति, जिजीविषा एवं दूरदर्शी सोच होती है ।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था “हमेशा याद रखिए कि सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी और संकल्प से ज़्यादा महत्व रखता है।”
आज के इस एपिसोड में टेन न्यूज़ आप ख़ास दर्शकों / पाठकों को एक ऐसे ही सफल, प्रतिष्ठित एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत की ख्वाति प्राप्त हस्ती से रूबरू कराने जा रही है। जिन्होंने अपने कार्यकुशलता से ना केवल अपने जीवन में एक मुक़ाम हासिल किया बल्कि आज लाखों हादतशिल्पी, युवाओं और महिलाओं के लिए आदर्श हस्ती – इन्स्पाइरिंग आइकॉन बने हुए हैं। हम बात कर रहे हैं “हैंडीक्राफ्ट्स मैन ऑफ़ इंडिया” ,हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के महानिदेशक एवं इंडिया एक्सपोज़िशन मार्ट लिमिटेड (आईईएमएल) ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा की।जिन्हें दुनियाभर में सफल हस्तशिल्प मेलों और एक्स्पो की मेज़बानी के लिए जाना जाता है। उन्हें इंडिया एक्स्पोमार्ट की कल्पना करने और ग्रेटर नॉएडा में इस मेगा प्रदर्शनी केंद्र परियोजना को कार्यान्वित करने का भी श्रेय दिया जाता है।
टेन न्यूज़ नेटवर्क अपने इस ख़ास कार्यक्रम के माध्यम से आप सभी दर्शकों को डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा की जीवनयात्रा, निजी एवं पेशेवर जीवन में सफलता के कुछ टिप्स, उनकी रुचियाँ आदि से रूबरू कराने का प्रयास कर रहा है।
डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने टेन न्यूज़ से बात करते हुए साझा किया की उनका जन्म और पालन पोषण दिल्ली में हुआ था,हालाँकि वे हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के एक छोटे से गाँव खद्दुल से ताल्लुक रखते हैं।1994 में पहली बार उन्होंने अपना पहला बड़ा शो इंडिया इंटरनेशनल गारमेंट फ़ेयर (IIGF) आयोजित किया। यह शो उनके जीवन की पहली बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उस समय में ऐसे शो केवल यूरोपीय देशों में आयोजित किए जाते थे।
आगे हमसे बातचीत में डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि शो के पहले दिन गाला डिनर में शो को मिली अपार सफलता के कारण मुझे शो में मौजूद लोगों के कंधों पर बिठाकर फहराया गया। जिसके बाद हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।एक हॉल से शुरू किया गया यह शो अपने ६वर्ष की यात्रा पूरा करने के बाद हमने प्रगति मैदान में शो आयोजित किया।
डॉक्टर राकेश ने कहा की उनके सामने दूसरी चुनौती थी एक्स्पोमार्ट परियोजना को कार्यान्वित करना,यह केवल मेरा सपना नहीं था बल्कि यह सपना हमारे साथ कार्य करने वाले कई लोगों का था ,उस समय वे अनिश्चित थे की यह परियोजना सफल होगी या नहीं।लेकिन आज जब यह सफलता का एक मानक के रूप में विद्यमान है तो यह कहते हुए गर्व होता है की इस शो में भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति,संयुक्तराष्ट्र के कई गणमान्य हस्ती , कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं। अब यह सोचकर सुखद महसूस होता है की हमने देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है , हमने देश के गौरव और सम्मान में योगदान दिया है।
टेन न्यूज़ के साथ ख़ास बातचीत के दौरान डॉक्टर राकेश ने कहा की १९८७ में ईपीसीएच की स्थापना की गई। उस समय तक वह परिषद में शामिल हो गए थे और हस्तशिल्प क्षेत्र से परिचित हो गए थे। और फिर १९९२ में परिषद ने एक व्यापार शो आयोजित करने का निर्णय लिया।EPCH ने लोगों के दृष्टिकोण को बदल दिया और उन्हें यह एहसास कराया की हस्तशिल्प गुड़िया और खिलौने से कहीं अधिक है।उन्होंने लगभग ४० देशों में शो में भाग लिया था।अर्जेंटीना से शुरुआत की फिर वेनेज़ुएला, चिली, उरुग्वे और ब्राज़ील में इसी तरह के मेलों का आयोजन किया। उत्सव में उन्होंने भारत के शिल्प ,संस्कृति और व्यंजनों को बढ़ावा दिया और प्रोत्साहित किया। उनके साथ कई शिल्पकार,कलाकार, रसोईया और कलाकार थे।इस परियोजना को लेकर उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और भारत पर्यटन विकास निगम के साथ सहयोग किया।
बातचीत के दौरान डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने यह भी कहा की वह हस्तशिल्प के अलावा आयुर्वेद,योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी रूचि रखते हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम शुरू किया है और आयुर एक्स्पो जो एक अन्तर्राष्ट्रीय सफलता का मानक बन गया है।इस एक्स्पो में योग कलाकारों,शोधकर्ताओं,चिकित्सा, वैकल्पिक चिकित्सा,पारंपरिक चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रदर्शन शामिल था।
डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में विश्वास नहीं करते हैं बल्कि मील का पत्थर हासिल करने में दृढ़ विश्वास रखते हैं ।
“उन्होंने कहा कि जिस दिन आप स्वयं को संतुष्ट कर लेते हैं आप उसी दिन समाप्त हो जाते हैं।”
अपने आदर्श या रोल मॉडल के बारे में पूछने पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वह कभी किसी बड़े और प्रसिद्ध लोगों का अनुसरण नहीं करते हैं।,वह समान्यत: अपने आस पास के सामान्य लोगों की उनके कार्यशैली की प्रशंसा करते हैं और उसके अनुसरण का प्रयास करते हैं।और सोचते हैं की जब वह कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं।
बातचीत के दौरान डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि उन्हें टोनी रोबिंस की किताबें और कैलाश ख़ैर और हंसराज रघुवंशी जैसे कलाकारों के भजन पसंद हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वह स्वयं को तरोताज़ा करने के लिए फ़िल्म देखना पसंद करते हैं।
ख़ाली समय में डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा अपने गाँव हिमाचल के खद्दुल जाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने मातृभूमि से बहुत जुड़ा हुआ हूँ।अपने गाँव के लोगों से हार्दिक रूप से जुड़ा हूँ।गाँव में युवाओं को शिक्षित करने , महिला सशक्तीकरण सहित कई अन्य गतिविधियों के माध्यम से विकास का प्रयास किया है।
युवा उद्यमियों एवं निर्यातकों को संदेश देते हुए डॉक्टर राकेश शर्मा ने कहा कि “पूरी दुनिया तेजी से बदल रही है। व्यापार के क्षेत्र में कई अहम बदलाव हो रहे हैं ,प्रौद्योगिकी सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।अपने व्यवसाय में तकनीकी हस्तक्षेप के संदर्भ में सोचना अधिक आवश्यक है क्योंकि जनशक्ति अधिक महँगी होने वाली है।
उन्होंने कहा कि भारत अवसरों की भूमि है, इसलिए इन्हें भारत को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। भारतीय बाज़ार का विकास अभी बाँकी है।भारत में हमारे पास अपार संभावनाएँ हैं।वह इस बात पर जोड़ देता है की उन्हें गणनात्मक और निर्णयात्मक नहीं होना चाहिए और केवल इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या वे सही दिशा में कदम उठा रहे हैं।
बातचीत के आख़िरी पड़ाव में डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने कहा “ हर किसी को एक बच्चे की तरह व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि जब बच्चा चलना शुरू करता है तो उसे दौड़ने की चिंता नहीं होती है, उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती संतुलन बनाकर दूसरा कदम उठाना है।”
वास्तव में जिस तरह से डॉक्टर कुमार शर्मा ने अपना जीवन व्यतीत किया है उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।वह सफलता के प्रतीक हैं जिन्होंने हमेशा उत्कृष्टता का प्रयास किया है।और सदैव चुनौतियों को दरकिनार करते हुए राष्ट्र की बेहतरी के लिए हरसंभव योगदान दिया है।।
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