महाराणा प्रताप सेना ने अजमेर शरीफ दरगाह को बताया मंदिर, सर्वे के लिए सरकार को लिखा पत्र

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली, (27/05/22): हिंदुस्तान की राजनीति में हनुमान चालीसा और अजान को लेकर काफी विवाद हो रहा है। कभी सड़कों और गांव के नाम बदलने को लेकर राजनीति हो रही है। ज्ञानवापी में फव्वारा है या शिवलिंग इस पर विवाद हो रहा है तो कोई कुतुबमीनार को विष्णु स्तंभ बता रहा है। वहीं महाराणा प्रताप सेना का दावा है कि अजमेर शरीफ दरगाह नहीं है बल्कि मंदिर।

इस मुद्दे पर टेन न्यूज से बातचीत करते हुए महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार ने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह नहीं बल्कि मंदिर है। उसमें हिंदू मंदिर के कुछ साक्ष्य मौजूद है जिसकी तस्वीर हमारे हाथ लगी है। परमार ने कहा की दरगाह का सर्वे कराने के लिए राजस्थान सरकार को एक पत्र लिखे हैं और पत्र के माध्यम से आग्रह करते हैं कि जल्द से जल्द इसकी जांच हो और अगर जांच नहीं होती है तो आने वाले दिनों में महाराणा प्रताप सेना के सैनिक एक व्यापक रूप में प्रदर्शन करेंगे।

महाराणा प्रताप के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार ने कहा कि मेरा निजी मानना है कि अजमेर दरगाह नहीं मंदिर है। जिस पर एक समुदाय के लोगों ने कब्जा कर लिया है। उनका कहना है कि भारत में तमाम ऐसे दरगाह है जिस पर विशेष समुदाय का कब्जा है, जो कि पूर्व में मंदिर था। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप सेना राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस में मुगलों के नाम पर रखे गए सड़कों का विरोध कर रही है और बहुत ही जल्द इन सड़कों को हिंदू राजाओं के नाम पर रखा जाएगा।

प्रमाण ने कहा कि अगर राजस्थान सरकार दरगाह का सर्वे नहीं करवाती है तो हम न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत कोर्ट में पिटीशन दायर करेंगे। आपको बता दें कि महाराणा प्रताप सेना दिल्ली के अंदर अकबर रोड का नाम महाराणा प्रताप के नाम से रखने की मांग पहले ही कर चुकी है। इसके बाद इनका कहना है कि कुतुबमीनार का नाम विष्णु स्तंभ होना चाहिए। वहीं इन सब के बीच महाराणा प्रताप सेना आगरा स्थित ताजमहल में शिव चालीसा का पाठ करना चाहती है लेकिन प्रशासन के तरफ से अभी अनुमति नहीं मिला है।