मुंडका अग्निकांड को लेकर बीजेपी प्रवक्ता ने आप पर किया पलटवार कहा, ‘मानवीयता को शर्मसार किया’

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (16/05/2022): दिल्ली के मुंडका अग्निकांड को लेकर राजनीति शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता इस घटना को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने इस घटना के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल कल यानी रविवार को बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दुर्गेश पाठक के बयानों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष से आम आदमी पार्टी के नेता झूठ बोलते हैं यह तो हम देखते ही रहे हैं पर आज मुंडका में हुई मानवीय त्रासदी पर ‘आप’ नेता दुर्गेश पाठक ने जो झूठ बोला है उसने मानवीयता को शर्मसार किया है।

उन्होंने कहा कि दुर्गेश पाठक का कथन पूरी तरह से झूठा है की मुंडका की वह बिल्डिंग जिस में लगी आग के कारण 27 निर्दोष जानें गई वह 2019 से कानूनी रूप से सील थी और कागजों में आज भी सील है और उसमें अवैध रूप से सब काम चल रहा था। उन्होंने कहा सच यह है की 2019 में दिल्ली सरकार की एक सरकारी शराब की दुकान इस बिल्डिंग में खोली गई थी जिसकी शिकायत के बाद सर्वोच्च न्यायालय की मॉनिटरिंग कमेटी ने इसे सील किया था और बिल्डिंग मालिक ने मॉनिटरिंग कमेटी में निवेदन पत्र देकर एवं संबंधित जुर्माना आदि भर कर 2020 में बिल्डिंग को डी-सील करवा लिया था।

उन्होंने कहा कि उत्तरी नगर निगम ने आज तक इस बिल्डिंग में कभी कोई फैक्ट्री या गोदाम लाईसेंस नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि 2016 में बिल्डिंग मालिक ने सैल्फ स्कीम में एक लाईसेंस निकाल लिया जिसे कुछ ही माह बाद उत्तरी नगर निगम ने रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है की लाल डोरा विस्तार में बनी इस बिल्डिंग को उत्तरी नगर निगम से कोई लाईसेंस प्राप्त नहीं था। उन्होंने अरविंद केजरीवाल से सवाल करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार बताये की इसको इतने भारी बिजली कनेक्शन एवं फायर एन.ओ.सी. कैसे मिले थे और कैसे 2018-19 में गैर कानूनी रूप से इस बिल्डिंग में सरकारी शराब की दुकान खुली थी।

उन्होंने आखिर में कहा कि भाजपा का इस बिल्डिंग के मालिक मनीष लाकड़ा से कोई संबंध नहीं है। वह कभी भाजपा का सदस्य या पदाधिकारी नहीं रहा है। चुनाव के समय बहुत से लोग राजनीतिक दलों को समर्थन देते हैं पर इसका मतलब यह नहीं की वह पार्टी सदस्य है।