टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (12/05/2022): ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाया है। इस पर जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को सलाह देते हुए कहा कि PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाइए और PhD कीजिए तब कोर्ट आइए। अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।
इस पर याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने बताया, “लखनऊ बेंच का कहना है कि यह मामला न्यायिक नहीं बल्कि विवादास्पद है, आप इस पर डिबेट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी 4 अपील थी, पहली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाए, दूसरी बंद कमरों को खोला जाए, तीसरी इससे जुड़े एक्ट का पुनर्लेखन और चौथी बेसमेंट में बने दिवार जो बंद हैं उनकी स्टडी करने की इजाज़त दी जाए, इन चारों अपील को ख़ारिज किया गया है। हमें इसपर रिसर्च करने को कहा गया है हमारा अगला क़दम होगा कि हम हिस्ट्री अकादमी को अपरोच करें।”
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर किया था। उनका मानना है कि ताजमहल के बारे में झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वह सच्चाई को जानने लिए 22 कमरों में जाकर शोध करना चाहते हैं। उन्होंने ताजमहल के बंद कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताया है और उनका कहना है कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए। उन्होंने याचिका में मांग किया कि ताजमहल के 22 कमरों के बंद दरवाजों को खोलने की इजाजत दिया जाए।