संस्कृत को नवाचार एवं विज्ञान से जोड़ना ज़रूरी, उत्कर्ष महोत्सव में बोले पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (9 मई 2022): केंद्रीय संस्कृत विश्विद्यालय के तत्वावधान में नई दिल्ली के अंबेडकर भवन में आयोजित तीन दिवसीय (7मई- 9 मई) ‘उत्कर्ष महोत्सव’ के दूसरे दिवस (8 मई 2022) के कार्यक्रम का उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षा मंत्री,भारत सरकार मुरली मनोहर जोशी; वर्तमान लोकसभा सदस्य एवं पूर्व शिक्षा मंत्री भारत सरकार, डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’; विशिष्ट अतिथि एवं अन्य महनीय गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित एवं सरस्वती माल्यार्पण कर किया गया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने उपस्थित सभी गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि दुनिया में छलांग लगानी है तो संस्कृत को नवाचार एवं विज्ञान से जोड़ना होगा। ऐसा करने से संस्कृत में जितनी रोजगार की संभावना खुलेगी और कही नहीं होगी।

मुख्य अतिथि डाॅ.मुरली मनाहेर जोशी पर्वू शिक्षामंत्री भारत सरकार ने अपने संबोधन में सभी संस्कृत विद्वानों को संबोधित करते हुए कहा, “लोग कहते है कि संस्कृत भाषा एक क्लीष्ट भाषा है और सिकुड़ती जा रही है लेकिन सच यह है कि हर जगह इस भाषा के प्रति सम्मान है। इसी में विश्व के ज्ञान विज्ञान निहित हैं।”

डाॅ. मुरली मनोहर जोशी तथा डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को कार्यक्रम में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह उत्कर्ष समग्र भारतवासियों का उत्कर्ष है। और यही संस्कृत भारती है। तथा इसी भारती से भारतीयता की पहचान है।

कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने संस्कृत के महत्त्व पर प्रकाश डाला। कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल का मानना था भाषा तो वही चलती है जो रोजगार देती है। और यदि संस्कृत का ठीक से विकास किया गया तो इससे ज्यादा रोजगार देने वाली और कोई भाषा नहीं हो सकती है।

कुलपति, प्रो. राधकान्त ठाकुर ने कहा कि यह उत्कर्ष दिवस संस्कृत अनन्त संभावनाओं को लेकर आगे बढेगी। पूर्व कुलपति प्रो. रमेश पाण्डेय ने इन तीनों केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बनने बनाने के इतिहास पर प्रकाश डाला।

आज के पूर्वाह्न सत्र में अनेक संस्कृत विद्वानों ने विभिन्न आधुनिक संस्कृत विषयों – संस्कृत शिक्षा में बहुशास्त्राीय समावेश, शास्त्र रक्षा बीज रक्षा आदि विषयों पर विचार रखे।

साथ ही साथ अपराह्न सत्र में विदेशियों के नजर में संस्कृत चितंन पर प्रकाश डाला गया। प्रथम सत्र में कुलपति के.ई. देवनाथन् ने शास्त्र के लोक प्रयोग पर बल दिया। साथ ही साथ जहां कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी एवं प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने भी अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखे, वही अपराह्न सत्र के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो. राधवल्लभ त्रिपाठी ने पत्र वाचन की विशेषताओं को बताते हुए यह भी कहा कि विलियम जोन्स ने जो अभिज्ञान शकुन्तलम् का अंग्रेजी अनुवाद किया उससे विश्व में संस्कृत की दुनिया ही बदल गई।

उत्कर्ष महोत्सव के दौरान ही विद्वत परिषद की छठी बैठक कुलपति, प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। उत्कर्ष महोत्सव की संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

 

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