भारतीय मीडिया के सबसे बड़े चेहरों में से एक जो आज के समय में यूं तो बेहद अलग – थलग खड़े नजर आते हैं परंतु अपनी एक अलग पहचान के लिए भी जाने जाते हैं, यानी की रवीश कुमार।
सरकार संग मीडिया के एक धड़े की भी दो टूक आलोचना करने वाले रवीश से कल राजधानी में टेन न्यूज़ ने एक संक्षिप्त बातचीत करी। आज के दौर में मीडिया के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा, “मुझे तो कोई भविष्य नजर ही नहीं आ रहा। जो संगठन हैं उनके भीतर अब लगता है बदलाव मुश्किल है। वो ऐसा हो जाएगा जैसे किसी इलाके में दस्यु ने कब्जा कर रखा है और उसे छुड़ाना है। पर कुछ लोग है जो अलग अलग जगह इंडिविजुअल लेवल में अच्छा काम कर रहे हैं और उनमें से कई १०-१२ लोगों की टीम भी बना रहे हैं। ऐसे लोगों से ही कुछ उम्मीद बाकी है”!
सांस्थानिक पत्रकारिता यानी की ब्रांडेड जर्नालिज्म के बारे में अपने विचार रखते हुए रवीश बोले, “जो संस्थानिक मीडिया है वो कई तरह की समस्याओं से गुजर रहा है और उसको अपनी समस्याओं में सुधार नहीं करना है। इसलिए कुछ बदलता हुआ नहीं दिख रहा है।”
उन्होंने इसके कारण भी गिनाए।
“कारण यह है कि लोग सरकार से डर रहे है। सबके पचासों धंधे हैं। कोई ईडी से डर रहा, कोई सीबीआई से, इस देश में लोग भूत से डर जाते हैं सीबीआई से क्यों नही डरेंगे,” एनडीटीवी ग्रुप एडिटर ने कहा।
जमीन से जुड़े रहने को बेहद जरूरी मानने वाले रवीश आगे बोले, “”मैं बहुत कम बाहर जाता हूं। लोगों से कम मिलता हूं, घबराहट होती है। परंतु मैं मानता हूं कि लोगों की सुनना भी जरूरी है, जितना सुनेंगे उतना बेहतर होगा।”