भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (29/04/2022): बाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहें अरुण शौरी ने राजद्रोह कानून के खिलाफ आवाज उठाया है। दरअसल अरुण शौरी कल यानी गुरुवार को एनजीओ कॉमन कॉज (Common Cause) समूह के साथ सुप्रीम कोर्ट में आए, जो राजद्रोह कानून को असंवैधानिक बताना चाहता है।सामूहिक तौर पर दोनों ने सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकों के खिलाफ सरकारों की ओर से इस कानून का भारी दुरुपयोग हो रहा है।

राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में पांच और छह मई को सुनवाई होगी और सुप्रीम कोर्ट ब्रिटिशकालीन कानून को जारी रखने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक ग्रुप को सुनवाई के लिए सूची तैयार कर चुके है। हालांकि पिछले साल जुलाई में शौरी और कॉमन कॉज की ओर से दायर एक संयुक्त याचिका को उनके साथ नहीं जोड़ा गया है।

इस मामले में जुड़ी याचिका पर गुरुवार को सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई का जिक्र किया है लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने इस पर कोई पुख्ता आश्वासन नहीं दिया है। बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि राजद्रोह कानून पर इस हफ्ते तक अपना रुख साफ कर दें। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि वह आगे और सुनवाई का मौका नहीं देंगे और इस मामला को पांच से छह मई को होने वाली सुनवाई के दौरान निपटा देंगे।

बता दें कि अरुण शौरी और कॉमन कॉज ने आरोप लगाया है कि राजद्रोह कानून (आईपीसी का सेक्शन 124 ए) समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। वे चाहते है कि सुप्रीम कोर्ट केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य में अपने साल 1962 के फैसले पर फिर से विचार करे, जहां उसने राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था।