टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (26/04/2022): थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के अनूठे प्रोजेक्ट ‘बोलो इंग्लिश’ के तहत देश भर के बजट स्कूलों के स्टूडेंट्स को धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलना सिखाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से अंग्रेजी बोलना सीखने के इच्छुक छात्रों को प्रीमियम ऐप ‘बोलो इंग्लिश’ का सब्सक्रिप्शन निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। इस दौरान 11 राज्यों के एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स और 4 हजार से अधिक टीचर्स इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ चुके हैं। इस ऐप के इस्तेमाल से छात्रों के प्रदर्शन में ऐसा निखार आया कि उन्हें यूनाइटेड नेशंस सहित अन्य राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी तारीफ मिलने लगी है। इस प्रोजेक्ट से लाभान्वित हुए ऐसे ही कुछ छात्रों, उनके पेरेंट्स और स्कूल टीचर्स को सेंटर फॉर सिविल सोसायटी द्वारा राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया जिसमें उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से १०० से अधिक शिक्षक, स्कूल संचालक, शिक्षाविद, छात्र तथा पालिसी तज्ञ उपस्थित थे।
इंडिया हैबिटेट सेंटर स्थित गुलमोहर ऑडिटोरियम में ‘नवनिर्माणः पाथ टू च्वाइस एंड एक्सीलेंस इन एजुकेशन’ कार्यक्रम के दौरान दिल्ली, अंबाला, कानपुर और आगरा से आए स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और टीचर्स को सम्मानित किया गया। इस दौरान ‘स्टैंडर्ड सेटिंग एंड एक्रिडेशन फॉर स्कूल एजुकेशन’ और ‘पाथ टू एक्सिलेंस’ विषय पर सेमिनार का आयोजन भी किया गया। वक्ताओं में मुख्य रूप से सीसीएस के फाउंडिंग प्रेसिडेंट डा. पार्थ जे शाह, प्रॉक्टर एंड गैम्बल इंडिया के पूर्व सीईओ और लेखक गुरचरन दास, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन की प्रो. गीता गांधी किंगडन, नीति आयोग के डिप्टी एडवाइज़र हर्षित मिश्रा, नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (निसा) के प्रेसिडेंट डा. कुलभूषण शर्मा, सीसीएस की सीईओ लक्ष्मी गोयल, भारती फाउंडेशन की सीईओ ममता सैकिया, अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन (एप्सा) के प्रेसिडेंट डा. लक्ष्य छाबड़िया, साइंस एजुकेशन रिसोर्स ग्रुप के हेड डा. अर्पण कृष्णा देब, एस.डी. विद्या स्कूल, हरियाणा की डायरेक्टर नीलिन्दरजीत सिंह संधू ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन इंग्लिश बोलो प्रोजेक्ट के संयोजक रोहन जोशी ने किया। डा. पार्थ शाह ने जहां कोरोना काल के दौरान बजट स्कूलों की सरकार द्वारा की गई उपेक्षा को रेखांकित किया वहीं गुरचरन दास ने देश में अंग्रेजी की बढ़ती अहमियत और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। प्रो. गीता गांधी किंगडन ने नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था में भारी खामी है और एनईपी उसमें सुधार की जरूरत की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति है। हर्षित मेहता ने देश में स्कूलों की बड़ी तादाद को परेशानी का सबब बताया और कहा कि चीन में जहां केवल 5 लाख स्कूल हैं वहीं भारत में इनकी संख्या 15 लाख है।