शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में न्याय मिलने में देरी एवं न्यायिक व्यवस्था में व्याप्त घूसखोरी एवं दलाली के मुद्दों पर चर्चा

 

टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (30 मार्च 2022)

राज्यसभा सांसद ‘हरनाथ सिंह यादव’ ने शून्यकाल के दौरान राज्यसभा के पटल पर न्यायपालिका की जिम्मेदारी एवं न्याय मिलने में विलंब के मामले को रखा।

उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया की वस्तुस्थिति का उल्लेख करते हुए प्रयागराज के नैनीचक गाँव के एक जमीन विवाद मामले को उदाहरणस्वरूप रखा।
गौरतलब है कि प्रयागराज के नैनीचक में एक जमीन विवाद का मामला 1969 में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर हुआ,जिसका फैसला अभी 1-2 माह पूर्व 2022 में आया है। 7 विस्वा जमीन बंटवारे में 52 साल लगे,56 जजों ने सुनवाई की और निर्णय आने से पहले 7 याचिकाकर्ताओं में से 6 स्वर्गवासी हो गए।

श्री यादव ने आगे कहा कि महोदय कहा जाता है कि “न्याय में देरी अन्याय है” अर्थात देर से न्याय की कोई सार्थकता नहीं है।
अपनी बातों को रखते हुए श्री यादव ने कहा कि हमारे देश में न्यायिक व्यवस्था में लाख खामियों बाद भी लोगों का न्यायपालिका पर अगाध विश्वास है।आंकड़ों पर नजर डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में तहशील से लेकर सर्वोच्च अदालत तक कुल 4 करोड़ मामले लंबित हैं जिसमें लगभग 20 करोड़ आबादी न्यायिक प्रक्रिया में फँसी हुई है।

आगे उन्होंने कहा कि विधायिका एवं कार्यपालिका में सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की जबाबदेही निश्चित है, लेकिन न्यायिक क्षेत्र में ऐसी कोई जबाबदेही निर्धारित नहीं है। आए दिन हम देखते हैं की बीसों वर्ष जेल में रहने के बाद न्यायलय से आरोप मुक्त हो जाता है, इस अन्याय के लिए किसकी जबाबदेही है?

आगे उन्होंने कहा कि यह नग्न सत्य है कि ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी न्यायिक व्यवस्था घूसखोरी एवं दलाली में लिप्त है,बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नही होता। इसका जबाबदेह कौन है?

अंत में श्री यादव ने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि जनता को सस्ता एवं शीघ्र न्याय मिल सके एवं इसमें पूरी पारदर्शिता हो ।अधिकवक्ताओं के लिए बनी आचार सहिंता का पालन हो और इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए मूलभूत अवसंरचनाओं को मजबूत करने की अति आवश्यकता है।।