टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (08/03/2022): संपूर्ण भारतवर्ष की ईट भट्ठा मालिकों ने अपनी एक मात्र संस्था अखिल भारतीय ईट व टाइल निर्माता महासंघ के नेतृत्व में अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन दिल्ली के जंतर मंतर पर किया।
अखिल भारतीय ईट भट्टा निर्माता महासंघ के महासचिव ओमवीर सिंह भाटी ने कहा कि सरकार द्वारा जीएसटी के स्लैब में व कोयले के रेटों में अप्रत्याशित वृद्धि से भक्तों को चला पाना बहुत कठिन हो गया है हम अपनी परेशानी स्थानीय सरकार को कई बार ज्ञापन देकर मांग उठाए हैं।
परंतु आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है मजबूरन आज अपनी बात को कहने के लिए धरना प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसमें भारत बरसे सभी प्रांतों के भट्ठा स्वामी अपने उद्योग हित में समस्याओं के निवारण हेतु पधारे हैं जिसमें सभी की मांग है कि जीएसटी काउंसिल की 45 वीं बैठक में भक्तों में निर्मित लाल ईंटों पर टैक्स दर में बिना आईटीसी क्लेम किए 1% से बढ़ाकर 6% आईटीसी क्लेम करने पर कर दर 5% से बढ़ाकर 12% किए जाने का प्रस्ताव 1 अप्रैल 2022 से पारित किया गया है।
भट्टे की ईट पर दो प्रकार के व्यवहारिक एवं अनुचित कर दर वृद्धि प्रस्ताव को वापस लिया जाए साथी ईट पकाने हेतु भट्टे का मुख्य कच्चा माल कोयला है जिसके खुले बाजार में रेटों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है जिससे ईट की लागत भी बढ़ने से मकान बनाने की लागत बढ़ना स्वाभाविक है ईटों के लगभग लागत में कमी लाने ईट की लागत कम करने के लिए कोयले की उपलब्धता व दामों को नियंत्रित होना अति आवश्यक है।
महासंघ के अध्यक्ष अशोक तिवारी ने कहा कि जीएसटी कानून वन नेशन वन टैक्स के अंतर्गत लागू किया गया था जीएसटी में संपूर्ण देश से अपेक्षित कर से ज्यादा धनराशि सरकार को प्राप्त होने के बावजूद मैन्युफैक्चर सेक्टर के 40 लाख तक का सालाना टर्नओवर वेबसाइट जीएसटी में प्रमुख थे। जबकि काउंसिल की बैठक में ईट निर्माताओं के लिए 20 लाख सालाना टर्न ओवर तक कर्म का प्रस्ताव किया गया है जो ईंट भट्ठा व्यापारियों के साथ घोर अन्याय है साथ ही कहा कि पर्यावरण को लेकर सरकार का स्पष्ट कानून नहीं है। जिसकी वजह से एनसीआर क्षेत्र की ईट भट्ठे बंद पड़े हुए हैं भक्तों से सीधे जुड़े लाखों व्यापारी परिवार में रोजगार पाने वाले लाखों गरीब निर्देशकों की रोजी रोटी की पीड़ा सरकार को समझना चाहिए ना कि उनके साथ खिलवाड़ करना चाहिए सरकार द्वारा हमारी पीड़ा को लगातार अनसुना किया गया है। जिससे व्यथित होकर संपूर्ण भारतवर्ष के भट्ठा मालिक अपनी मांगों को लेकर धरना देने के लिए विवश हुए हैं।