टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (3/03/2022): रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण एक भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मृत्यु हो गया है जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। नवीन के मौत के बाद उसका पिता का बयान आया है और उन्होंने बताया कि छात्रों को पढ़ाई के लिए बाहर क्यों भेजना पड़ता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं और छात्र कम पैसे खर्च करके विदेश में समान शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और जातिवाद इन सब कारणों की वजह से छात्रों को विदेश में जाकर पढ़ाई करने पर मजबूर करता है।
यूक्रेन भेजने के कारण
नवीन के पिता ने कहा कि “मेरा बेटा जिसने प्री यूनिवर्सिटी कोर्ट(पीयूसी) में 97 फीसदी अंक हासिल करने के बावजूद भी राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं कर सका। मेरा बेटा होनहार था उसे यहां के मेडिकल शिक्षा में मंहगाई, आरक्षण और सिस्टम के कारण बाहर पढ़ने के लिए भेजना पड़ा था क्योंकि प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूट हमारी पहुंच से बाहर होता है। मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं और छात्र कम पैसे खर्च करके विदेश में समान शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं इसलिए मैंने अपने बेटा को पढ़ने के लिए यूक्रेन भेजा था लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि यूक्रेन भेजना इतना मंहगा पड़ेगा।”
जातिवाद के आधार पर सीट बँटती हैं
नवीन के पिता शेखरप्पा ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील किया है कि डोनेशन बहुत बेकार होता है इसी के वजह से होनहार छात्रों को विदेश जाकर पढ़ना पड़ता है। यहां पर एक सीट पाने के लिए करोड़ों रुपए माँगे जाते हैं और विदेश में वहीं शिक्षा अच्छे उपकरणों के साथ कम पैसे में कराया जाता है। भारत में जाति के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है इसलिए मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस मामले में काम करें जिससे कि छात्रों को विदेश में जाकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर ना होना पड़े।
बता दें कि भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मृत्यु की खबर मंगलवार को सुबह आया था और इस खबर को विदेश मंत्रालय की ओर से पुष्टि किया गया था। विदेश मंत्रालय की ओर से नवीन के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन के पिता से बात करके शोक व्यक्त किया था।