टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (18/01/2022): भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले एम्स/आईसीएमआर-कोविड 19 नेशनल टास्क फ़ोर्स और जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप ने कोरोना संक्रमित वयस्क मरीज़ों के इलाज के लिए संशोधित क्लिनिकल गाइडलाइन जारी की है। कोरोना वायरस से संक्रमितों के इलाज करने के लिए डॉक्टरों को स्टेरॉइड के इस्तेमाल से बचने के लिए कहा गया है। सरकार का यह फैसला तब आया है, जब कुछ दिन पहले ही टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड्स दवाओं के ज्यादा होने को लेकर अफसोस जताया था।
संशोधित गाइडलाइन में कहा गया है कि स्टेरॉइड जैसी दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लैक फंगस और दूसरे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। स्टेरॉइड का समय से पहले इस्तेमाल या ज़्यादा डोज़ में या फिर जरूरत से ज्यादा डोज में इस्तेमाल करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। इसका ज्यादा प्रयोग करने से दूसरे संक्रमण होने का डर रहता है।
संशोधित गाइडलाइन में कोरोना के हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों को अलग-अलग तरीक़े से देखने के लिए कहा गया है। अगर किसी को कफ दो से तीन हफ़्तों तक बंद नहीं होता है तो मरीज़ को टीबी और अन्य तरह बीमारी की जांच करानी चाहिए।
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते भी नीति आयोग के सदस्य और कोविड टास्क फ़ोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने स्टेरॉइड के दुरुपयोग और ओवरडोज़ को लेकर चिंता जताई थी। संशोधित गाइडलाइन के अनुसार, जिन्हें सांस लेने में दिक़्क़त नहीं हो रही है लेकिन गले और नाक से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं, उन्हें होम आइसोलेट होने की सलाह दी गई है।