टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (16/01/2022): दुनिया भर में कोरोना का मामला बढ़ता ही जा रहा है। जिसकी वजह से कई जगह लॉकडाउन लगा हुआ है तो कहीं स्कूल बंद हैं। इसी बीच विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेद्रा ने कहा है कि COVID-19 के कारण अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं। भले ही ये कोरोना की नई लहरें हों लेकिन स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय नहीं होना चाहिए।
कोविड के कारण बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम है, लेकिन स्कूल बंद करने की लागत बहुत अधिक है। स्कूलों को फिर से खोलने के लिए बच्चों के टीकाकरण की प्रतीक्षा करने का कोई मतलब नहीं है और इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा, “रेस्तरां, बार और शॉपिंग मॉल को खुला रखने और स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है।”
भारत में कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने पर विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेद्रा ने कहा है कि इससे बच्चों के शिक्षा पर बहुत असर पड़ेगा। स्कूलों के बंद होने से बच्चों की शिक्षा में असमानता आएगी। स्कूल ना जाने वाले बच्चों की तुलना में जो बच्चे स्कूल जाते थे सीखने की क्षमता में कम वृद्धि होगी। महामारी के दौरान स्कूल बंद होने से भारत में सीखने की गरीबी 55 से बढ़कर 70 प्रतिशत होने की उम्मीद है।