डेंगू से बेदम बच्चों को पड़ रही ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत

बदलते मौसम के साथ डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। बच्चे अधिक शिकार रहे हैं। कई बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ रहा है। फेलिक्स अस्पताल की डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि बारिश के बाद मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। मच्‍छर एक इंसान को संक्रमित करने के बाद दूसरे इंसान को संक्रमित करते हैं। डेंगू के एडवांस स्टेज में जाने पर रक्त कोशिकाओं से खून रिसने लगता है। शॉक का मतलब है। जब शरीर के अंग फेल होने लग जाएं। संक्रामकता अधिक होने के बाद यह होने लगता है। मरीज वार्निंग साइड में चले जाते हैं। ऐसे में प्लेटलेट्स भी, तेजी से गिरने लगते हैं। मरीज की हालत लगातार बिगड़ने लगती है तब बचाव के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर लेना जरूरी हो जाता है। जान बचाने के लिए ऑक्सीजन भी एक प्रमुख कारक है। ऑक्सीजन के सहारे ही आगे का इलाज किया जा सकता है, जितने भी बच्चे आ रहे हैं। उनमें कई को ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है। छोटे बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट देने में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। जिन बच्चों में सिंड्रोम पाया जा रहा है, वह अस्पतालों में देरी से पहुंच रहे हैं। पहले वह घर के नजदीक करीब क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं। जिससे इलाज के दौरान परेशानी होती है। बीमारी बढ़ने पर अस्पताल में आते हैं। इसलिए हालत में सुधार होने में समय लग रहा है। इन मरीजों में अचानक हीमोग्लोबिन का बहुत बढ़ जाना खतरनाक है। इसके बढ़ने से मरीज मल्टी ऑर्गन फेल्योर की खतरा बढ़ने लगता है। इस कारण हृदय,पेट, फेफड़ों के आसपास पानी भरने लगता है। इलाज में भी जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। डेंगू के मरीज को केवल प्लेटलेट्स की कमी से जोड़कर देखते हैं जबकि डेंगू के कैपिलरी जिका सिंड्रोम एक सबसे प्रमुख समस्या है। मरीज के शरीर में लीकेज बढ़ जाता है। यही शरीर में हीमो कंस्ट्रक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। इसे पॉली सिरोसोराइट्स कहते हैं। जब शरीर के अंदर फेल होने लगता है, तो उसे शॉक सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे में सभी तरह के जीवन रक्षक का उपाय किया जाता है।

डेंगू से बचाव
ओडोमास लगाए। मच्छरदानी का प्रयोग करें। बासी खाने का सेवन बिल्कुल नहीं करें। घरों के आसपास पानी नहीं जमा होने दे। हमेशा फुल बाजू के कपड़े पहन कर रखें।

डेंगू के लक्षण
100 से 102 डिग्री तक बुखार आना। बुखार आने के बाद हाथ-पैर में दर्द बना रहना। उल्टी, सिरदर्द, भूख नहीं लगना। चक्कर आना।
बच्‍चों के हाथ-पैर एकदम ठंडे पड़ जाना। उल्टी करने पर खून आना। आंखें एकदम लाल हो जाना। शरीर में सूजन, लाल दाने आना, पेट फूलना, लीवर का बढ़ना, लाल चकत्ते पड़ने पर रक्त आना।