सरकारी नौकरी छोड़कर सुरभि वर्मा ने पंचायत चुनाव में आजमाई किस्मत

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव हिंदुस्तान की राजनीति के सबसे दिलचस्प और अहम चुनाव माने जाते हैं। जिसमें एक एक वोट की अहम भूमिका होती है और इसके लिए प्रत्याशी छल,बल,दल हर तरह की जुगत लगाते हैं। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की कुम्भी ब्लाक से शाहबुद्दीनपुर ग्राम पंचायत सीट पर अजब नजारा दिखा। जहां चार गांवों की ग्राम सभा में कुल आठ प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। जिनमें एक पेशे से डॉक्टर थे जबकि दो पूर्व प्रधान। ऐसे में सरकारी स्कूल में अध्यापिका रहीं सुरभि वर्मा अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर प्रधानी के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उतर गयीं। सुरभि पहले से ही अपने पति अजित वर्मा के द्वारा स्थापित एक एनजीओ “मन एक उड़ान समिति” के माध्यम से महिला सशक्तिकरण एवम पर्यावरण सुधार पर कुछ वर्षों से काम कर रही थीं। उनके पक्ष में चुनाव में गांव की तमाम महिलाओं द्वारा पहली बार चुनाव की कंवेंसिंग की गई। जो शहाबुद्दीनपुर ग्राम सभा के बाहर भी बहुत चर्चा का कारण बन गया। अन्ततः कई दिग्गजों को हराकर सुरभि वर्मा चुनाव जीतकर पहली बार स्वयम की पहचान और प्रभाव से महिला प्रधान बनीं। आज सुरभि की जीत महिलाओं की सशक्तिकरण की जीत के रूप में देखी जा रही है। बताते चलें कि सुरभि वर्मा के ज्येष्ठ मंजीत सिंह पटेल केंद्रीय कर्मचारी महासंघ दिल्ली के अध्यक्ष हैं और देश के सत्तर लाख से अधिक एनपीएस कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन एनएमओपीएस के प्रमुख लीडर के रूप में जाने जाते हैं।