आर्गेनिक फार्मिंग कैसे चलेगी

वी॰ वी॰ एस एन राव

1965 के भारत-पाक युद्ध मे अमेरिका का PL480 के अंतर्गत गेंहू का आयात का बहुत बड़ा भूमिका जिसके वजह से न चाहते हुए भी जीते हुए भूभाग यहाँ तक की लाहौर को भी वापस करना पड़ा। तब शास्त्री जी ने नारा दिया ‘ जय जवान जय किसान’

उसी वक्त अमेरिका में Norman Borlough नाम का कृषि विशेज्ञ ने रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग कर एवं ट्रैक्टर से खेत जोत कर कृषि उत्पादन को दुगना चौगुना कर दिखाया। भारत मे स्वामीनाथन ने भोले भाले शास्त्रीजी को राजी कर लिया और बड़े पैमाने पर रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का आयात शुरू हो गया।

कुछ देसी कंपनियों ने ट्रेक्टर ओर अन्य कृषि उपकरण बनाने शुरू कर दिए। सदियों से गाय, गोबर और गो मूत्र को उपयोग कर नंदी से हल चलाने वाला किसान को महंगे खाद और उपकरणों के लिए ऋण देने शुरू किया। जाने अनजाने में हमारे पशुधन बूचड़खाने के गिध्द दृष्टि का शिकार हो गए। और जमीन रसायन से त्रस्त हो कर कुछ ही साल में अपना उर्वरक शक्ति खो बैठा। और इस तरह अमेरिका के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का षड्यंत्र सफल हो गया। अब तो उन्नत किस्म के बीज के नाम पर भी ठगी शुरू हो गया जिसके कारण कपास उगाने वाले कई किसान आत्महत्या कर बैठे। आज की
भारत सरकार को भारत के कृषि का कमर तोड़ने का अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के बारे में सब कुछ पता है मगर इन कंपनियों ने चांदी का जूता मुँह पर मार रखा है इसीलिए यूरिया में नीम मिला कर देने की बात करते है। फेर्टिलिज़र्स मंत्रालय केमिकल के साथ रखे हुए हैं जबकि फेर्टिलिज़र्स कृषि का विषय है।

एक ओर कृषि मंत्रालय नेशनल सेन्टर फ़ॉर आर्गेनिक फार्मिंग का हर जगह केंद्र स्थापित किये, गाज़ियाबाद सेन्टर जोर शोर से वेस्ट डिकॉम्पोज़र का प्रचार कर रहा है वही सारे एग्रीकल्चर कॉलेजों के पाट्यक्रम में रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के प्रयोग का विधि सिखाया जाता है।
मैंने कृषि मंत्रालय से जुड़े कई अधिकारियों का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया मगर कुछ नही हुआ।

आप किसी भी एग्रीकल्चर कॉलेज का यूट्यूब वीडियो देखले, वे आपको रासायनिक खादों एवं कीटनाशक का ही प्रयोग बताएंगे।
क्योकि रासायनिक खाद, कीटनाशक और तथाकथित उन्नत किस्म के बीज का एक अंतरराष्ट्रीय माफिया काम कर रहा है जो कृषि प्रधान भारत को दूसरे देशों पर निर्भर होने के लिए मजबूर कर रहे हैं इसमे सरकार के लोग भी शामिल है। अन्यथा गाय, गोबर और गोमूत्र पर आधारित सदियों पुराने प्रणाली को किनारे कर ‘केमिकल एंड फेर्टिलिज़र्स मिनिस्ट्री बनाने की क्या आवश्यकता है, सिर्फ केमिकल ही रहने देते।।

हमारे प्रधान मंत्री भी बड़े गर्व के साथ कहते है कि वे यूरिया की काला बाज़ारी रोक कर किसानों को यूरिया आसानी से उपलब्ध करा रहे है।

अगर ये माफिया पे नियंत्रण होता तो देश मे दस लाख किसान आत्महत्या नही करते। एक अकेले महाराष्ट्र में साढ़े तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके।

अब इस माफियाओं के गुट में एक और माफिया शामिल हो गया जिनका खुलासा चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन के दौरान हुआ, वो है आढतियों, शराब बनाने वाले कम्पनियों एवम राजनैतिक रसूख़ वालो का माफिया।
एक ओर लोग अनाज के लिए तरसते है तो वही गेंहू ₹20 किलो के दर से खरीद कर FCI के गोडाउन या खुले में सड़ने के लिए छोड़ देते और फिर वही गेंहू को ₹2.00 किलो के भाव से शराब बनाने वाले कम्पनियों को बेच दिया जाता हैं। अकाली दल की एक नेता 2014 में फिर 2019 में भी फ़ूड प्रोसेसिंग मिनिस्ट्री ही ली ताकि उनके परिवार वालो को गेहूं ₹2.00 किलो के भाव मे शराब बनाने के लिए मिलता रहे। इन माफियाओं से लड़ना मुश्किल है।

मग़र एडवोकेट राजेंद्र वर्माजी और बहन श्रीमती विनीता जी ने पहल कर एक अच्छा मार्ग सुझाया। वे अब मथुरा के गांव थिरावली में कामधेनु गौ विज्ञान केंद्र का स्थापना कर, जंगल मे घूमने वाले गाये को कसाई से सिर्फ बचा ही नही रहे बल्कि गांव वालों को जैविक खेती के ओर ले जा रहे है और गोबर और गौमूत्र से अनेक प्रकार के उत्पाद से गांव के महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।

सिर्फ व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में भाषण दे कर अपना दिल का गुबार निकालने के बजाय अगर हम सब अधिवक्ता राजेंद्र वर्माजी एवम बहन श्रीमती विनीता जी की तरह हर एक गाँव मे एक गौ विज्ञान केंद्र की स्थापना करे तो अच्छा होगा। देश मे सात लाख गाँव है और 80 करोड़ हिन्दू है। अगर दस समर्थ हिन्दू एक एक गाँव के लिए काम करे तो हमे सिर्फ 70 लाख हिन्दुओ की आवश्यकता है।

क्या हम सब पहल कर एक एक गांव को थिरावली के तरह गौ विज्ञान केंद्र बना कर सड़को जंगलों में छोड़ दिये गायों को कसाई के हाथ बचा कर उनके गोबर और गौमूत्र से जैविक खेती करने के लिए प्रेरित नही कर सकते और गांव की महिलाओं को प्रशिक्षण दे कर गोबर और गोमूत्र से अनेक प्रकार के उपयोगी समान बना कर उनके आमदनी में वृद्धि नही कर सकते, जरूर कर सकते है।

थिरावली के बाद हमारा लक्ष्य है महाराष्ट्र के एक सुदूर गांव जहाँ विकास की किरणें अभी नही पहुँची, जहाँ न तो बैंक है न उच्च विद्यालय, कॉलेज का फिर सवाल ही नही उत्पन्न होता।

आशा है सभी हिंदूवादी संघटन मेरे इस सुझाव पर ध्यान देंगे और कमसेकम 70 लाख समर्थ हिन्दुओ का समर्थन प्राप्त कर सात लाख गांव में कामधेनु गौ विज्ञान केंद्र के स्थापना के लिए प्रयास करेंगे क्योंकि अगर भारत के किसान को गरीबी के श्राप से मुक्त करना है तो हर एक किसान को कमसेकम एक गाय अवश्य पालना होगा तभी उन पर सिर्फ लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु का ही नही बल्कि 33 कोटि देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा और भारत का किसान पुनः सम्पन्न किसान बनेगा।