कोरोना क्या सिर्फ श्राप है या मौका भी.

रजनी पंवार , सीनियर पत्रकार
अभी पूरा विश्व कोरोना की मार से हाहाकार कर रहा है।  करीब करीब पूरी दुनिया इस वक़्त रुकी हुई है. . .  जिंदगी जैसे ठहर गयी हो … जो जहाँ है वहीँ थम सा गया है।
हालांकि भारत का हाल अभी बाकी दुनिया से बेहतर नज़र आ रहा है क्यूंकि हमारी सरकार ने वक़्त रहते खतरे को भांप कर सम्पूर्ण लॉक डाउन कर दिया वरना आज शायद हालात काबू से बाहर होते।
लेकिन यह कोरोना जो पूरी दुनिया के लिए अभिशाप बना हुआ है भारत के लिए वह एक सुअवसर भी बन सकता है अगर हम इस महामारी को एक सबक की तरह लें और इससे मिले मौके का फायदा उठाने में सफल हो गए तो कोई संदेह नहीं की भारत आने वाले दिनों में विश्व की नयी महाशक्ति और आर्थिक धुरी बन जाए।
यहाँ जरूरत सिर्फ पूरी ताकत से और बिना किसी राजनैतिक खींचतान कर अगर हमारी सरकार कुछ सख्त फैसले ले तो शायद हम बहुत आगे निकल सकते हैं इतना आगे की कोई और देश भारत को चुनौती न दे पाए।
वैसे भी डब्लू एच ओ की सीनियर साइंटिस्ट यह शंका जता चुकी है की शायद इस महामारी का कोई इलाज़ कभी न मिल पाए और  जैसे एड्स का पिछले 40 सालों में कोई इलाज़ नहीं निकल पाया और इस लाइलाज बिमारी के साथ दुनिया संभलकर चलना सीख गयी है  वैसे ही शायद दुनिया को इस कोरोना से बचकर जीना सीखना होगा।
इसलिए भी  आने वाले समय की यह जरूरत बन गयी है की शहरों की भीड़ को काम किया जाय और उसके लिए गॉंवों से पलायन रोकने के लिए सरकार को ठोस नीति बनानी बहुत जरूरी हो गयी है।  वैसे भी अगर गॉंवों में युवाओं को रोज़गार मिले तो उन्हें मजबूरी में पलायन नहीं करना पड़ेगा।
आज हम सब देख रहे हैं की भारत में भी अब प्रदूषण काफी काम हो चूका है और हम भी साफ़ नीला आसमान देख पा रहें है जो शायद हम भूल चुके थे  जिस गंगा और यमुना की सफाई में हम अरबों रुपये बहा चुके लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा वो नदियां अब स्वयं साफ़ होकर अपने पूरी गति से बहने  लगी हैं तो अगर लॉक डाउन खुलने के बाद सरकारें उन नदियों में गिरने वाली फैक्टरियों और अन्य गन्दगी को रोक लें तो हम भविष्य में खर्च होने वाले अरबों रुपये बचा सकते हैं जरूरत समय रहते उस पैसे को प्रदूषण रोकने और नदियों में गिरने से रोकने वाले कचरे के प्रबंधन में लगाने की है। वहीँ अगर हमने यह मौका गँवा दिया तो उद्योग धंधे खुलते ही कुछ ही दिनों में हालात वहीँ पहुँच जायेंगे जहाँ हम पहले हार मान चुके थे।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मौका जो हमें इस महामारी ने दिया है वह है विश्व के बाजार में अपनी धाक ज़माने का।  हम देख चुके हैं की चीन  कैसे अपनी जनससंख्या को सस्ते लेबर में बदलकर वर्ल्ड फैक्ट्री बना हुआ था लेकिन वहां से कई बीमारिया भी अब दुनियाको मिलने लगी है और  की अब विश्व के कई देशों में चीन के बहिष्कार की आवाज़ उठने लगी है और ऐसे वक़्त में यदि हम दुनिया को चीन का विकल्प दे पाए तो हिन्दुस्तान को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से कोई नहीं रोक पायेगा। हमारी जनसंख्या में युवाओं की संख्या अधिक है जो हमें सस्ता लेबर दिला देंगी और हमारी तरक्की की राह  आसान हो जायेगी।
और जो विश्व  पहले से भारतीय संस्कृति , हमारी आध्यात्म , आयुर्वेद , नेचुरोपैथी , योग , की कायल हो ही चुकी है वह हमारे देश में बने उत्पादों को भी आसानी से अपना लेगा बशर्तें की हम काम कीमत पर अपने उत्पाद विश्व के बाज़ारों में दे पाएं।
अब वैसे भी कोरोना से उबरने के बाद बहुत तेज़ी से बेरोजगारी बढ़ेगी क्यूंकि होटल्स , रेस्टोरेंट्स , टूरिज्म आदि कई सेक्टर का काम ठप्प रहेगा तो इन सेक्टरों से बढ़ी मात्रा में नौकरियां जाएँगी । यदि हम अपनी युवा लेबर का उपयोग छोटे कारखानों और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर उनके लिए रोज़गार उत्पन्न कर पाएं तो इससे गॉंवों से होने वाले पलायन को भी रोका जा सकेगा और शहरों पर पढ़ने वाला बोझ भी कम हो सकेगा।
भारत में खुद इतनी बड़ी आबादी होने के कारण खपत बहुत ज्यादा है तो ऐसे में यदि हम अपने घर की जरूरत अपने देश में बने उत्पादों से कर पाएं और अपनी रोज़मर्रा की चीज़ों के लिए चीन पर अपनी निर्भरता ख़तम कर दें तो हमारे लिए विश्व बाज़ार का रास्ता भी सुगम हो जायेगा और हमारे देश में रोज़गार भी पैदा हो जायेंगे और अर्थव्यवस्था का ग्राफ बहुत तेज़ी से ऊपर जाएगा।
इसके साथ ही लेकिन इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होगा की सरकार दोतरफा नीति अपनाये एक तो देश में बाहरी निवेश लाने के लिए सुगम नीति अपनाये और दूसरा देश में बने माल को बाहर भेजने के लिए भी अपनी ट्रेड नीति को और सुगम और सस्ता करना पड़ेगा। इस समय कई बढ़ी कंपनिया अपने बिज़नेस चीन से समेटकर कहीं और ले जाना चाहती हैं अगर उन्हें भारत में सस्ती लेबर और अनुकूल परिस्थितिया मिलें तो उनके लिए भी भारत सबसे अच्छा बन सकता है।
और ऐसा यदि हो गया तो चीन की अर्थव्यवस्था जमीन पर आ जाएगी और भारतके दो सबसे बड़े शत्रु ख़तम हो जायेंगें  क्यूंकि यह पूरी दुनिया जानती है की पाकिस्तान सिर्फ चीन के दम पर ही भारत को आँख दिखता है अगर चीन कमजोर हो गया तो पाकिस्तान की तो औकात ही नहीं भारत के सामने आँख तक उठाने की।
इस वक़्त परिस्थिया हमारे पक्ष में हैं आज हमारे पास पूर्ण बहुमत की सरकार है जो कोई भी प्रस्ताव आसानी से पारित करवा सकती है जिसका उदहारण हम तीन तलाक़ , आर्टिकल 370 तथा राम जन्मभूमि जैसे विवादों का निपटारा होते देख चुके हैं उसी प्रकार  यह सरकार अपनी दृढ संकल्प से देश में विदेशी निवेश को लाने के लिए अनुकूल माहौल भी पैदा कर सकती है।
यह देखने में कठिन जरूर लग रहा यही लेकिन भारत हमेशा से हर चुनौती के आगे डटकर खड़ा रहा है और हमने हर हालात में जीत पायी है। हमारे सामने कई ऐसे उद्धरण है जब विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ संकल्प से मनुष्य ने विजय पायी है ऐसा ही एक उदहारण हम अरुणिमा सिन्हा के जीवन से ले सकते हैं जहाँ दुनिया ने उनके सामान्य जीवन को भी मुश्किल माना था वहीँ सबकी कल्पना से परे उन्होंने अपनी शारीरिक विकलांगता के बाद भी एवेरेस्ट की छोटी फतह करके दुनिया के लिए मिसाल कायम की।
उसी तरह हम 130 करोड़ भारतीय यदि ठान लें और सरकार अनुकूल नीति बनाये तो यह मुश्किल काम भी आसान हो जायेगा और हम कोरोना पर फतह हासिल करके दुनिया में अपना डंका बजा पाएंगे।  इसीलिए आज जब अधिकतर बुद्धिजिवि विश्व में स्लोडाउन की भविषयवानी कर रहे हैं तो में देश के लिए आगे बढ़ने का एक नयी उम्मीद की किरण देख रही हूँ।
वहीँ अगर हमने आज जो मौका गँवा दिया तो सदिया लग जाएँगी इससे होने वाले नुक्सान की भरपाई होने में।