*राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में अमरिन्दर के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवायेगी दिल्ली कमेटी*
*मामला आत्मसमर्पण करने वाले 21 नौजवानों के कथित कत्ल का*
नई दिल्ली (25 मई 2017) : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा अपनी आत्मकथा में 21 सिख नौजवानों के आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें कत्ल करने के दर्ज किये गये सनसनीखेज खुलासे पर सियासत गर्म हो गई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. तथा महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा ने अमरिन्दर के हाथ बेगुनाह सिखों के कत्ल से रंगें होने का दावा करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इस संबंधी अमरिन्दर के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवाने का आज प्रेस कांफ्रैस के दौरान ऐलान किया। दरअसल अपनी आत्मकथा के विमोचन के बाद 17 मई 2017 को कैप्टन ने अपने ट््विटर एकाऊन्ट पर ट्विट कर पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर पर उन्हें आत्मसमर्पण मामले में धोखा देने का आरोप लगाया था, क्योंकि उक्त 21 नौजवानों का आत्मसमपर्ण अमरिन्दर के द्वारा आयोजित करवाया गया था।
जी.के. ने कहा कि 1980-90 के दौरान पंजाब में सिख नौजवानों को पुलिस प्रशासन द्वारा सरकार प्रायोजित आंतकवाद के सहारे कत्ल करने की जो धारणा सिखों के द्वारा बार-बार व्यक्त की जाती थी। अमरिन्दर ने उस धारणा को सच साबित कर दिया है। जी.के. ने दावा किया कि पंजाब में आतंकवाद के दौर के दौरान निर्दोष सिख नौजवानों का तीन प्रकार से कत्ल किया गया। जिसमें झूठे पर्चे दर्ज करके न्यायिक हत्या, हिरासत के दौरान अमानवीय यातनाओं के जरिये हत्या तथा झूठी मुठभेड़ों के जरिये घरों से निकालकर सिखों की नस्ल को जड़ से खत्म करने की धारणा सम्मलित है।
जी.के. ने कहा कि अमरिन्दर ने बेशक कबूलनामा करके अपने जमीर से तो बोझ उतार लिया है परन्तु वह किस प्रकार मारे गये सिखों के परिवारों को आर्थिक सहायता व इन्साफ दिलवायेंगे यह देखना अभी बाकी है। जी.के. ने न्यायपालिका को मुख्यमंत्री के कबूलनामे पर संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करने की अपील करते हुए कहा कि यदि न्यायपालिका ने कार्यवाई ना की तो दिल्ली कमेटी खुद अमरिन्दर के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कराने की पहल करेगी।
मुख्यमंत्री बनने के बाद अमरिन्दर द्वारा पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक के.पी.एस. गिल के साथ मुलाकात करके गिल को फूलों का गुलदस्ता भेंट करने की फोटो सार्वजनिक करते हुए जी.के. ने मुलाकात की जरूरत पर भी सवाल खड़े किये। जी.के. ने कहा कि गिल पर पहले भी नौजवान सिखों के कत्ल झूठी मुठभेड़ों के जरिये करने के आरोप लगते रहें हैं। इसलिए ऐसे व्यक्ति के साथ गलबहियां डालकर अमरिन्दर क्या साबित करना चाहते हैं ? गिल के साथ मुलाकात करना तथा निर्दोष सिखों के कत्ल पर मगरमच्छी आसू बहाना क्या तर्कसंगत है ? जी.के. ने अमरिन्दर के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवाने के लिए प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात करने की बात कहते हुए केन्द्र सरकार को 1990 के दशक में पंजाब में हुए पुलिस दमन की सी.बी.आई. द्वारा जांच करवाने की मांग की।
सिरसा ने कहा कि 25 वर्ष तक मौन रहने वाले अमरिन्दर का अब बोलना उनके गुनाह को कम नहीं कर सकता, क्योंकि 2002 से 2007 तक वो खुद पंजाब के मुख्यमंत्री रहें हैं। इसके साथ ही बतौर संसद सदस्य व विधायक के तौर पर सभी सदनों में इस मसले पर उनकी चुप्पी रहस्यमय है। चूंकि अमरिन्दर ने खुद इस कत्लेआम को कबूल किया है इसलिए उनकी जिम्मेदारी अब बढ़ गई है कि वह खुद सामने आकर दोषियों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवाये। अमरिन्दर सिंह मुख्यमंत्री है, इसलिए कोई भी ताकत इन 21 नौजवानों के कातिलों को पंजाब पुलिस में ढ़ूढ़ने से उन्हें नहीं रोक सकती। अमरिन्दर सिंह को बतौर गवाह मारे गये सभी 21 नौजवानों के नाम तथा घटना के वर्ष को सार्वजनिक करने की सिरसा ने वकालत करते हुए अमरिन्दर को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पंजाब में नया मुकद्दमा दर्ज करने की भी मांग की।