क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना, क्या ये तुमने क्या कर दिया?

क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?

रोक दी है रेलगाड़ी,
उखाड दी हैं पटरियाँ ,
जला दी कई बसें तुमने,
खौफ अपनों को ही दिया,
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?

बन्द हैं स्कूल सभी ,
घर के अंदर भी सन्नाटा हैं,
नादान बच्चें पूछते हैं,
किस बात की हैं छुट्टियाँ,
मुस्कुराते बचपन को,
सवाल ये कैसा दिया,
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?

जो सँभाल रहा था, लोकतंत्र ,
उस पर पत्थरों सें वार किया,
वो घायल पड़ा था सडक पर,
और तुमने फूँक डाली पुलिस चौकिया,
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?

कैसा है आवेश तुम्हारा,
किस बात का है आक्रोश ये,
जिसे तबाह करने निकले हो , है तुम्हारा ही तो हिस्सा ये,
कर के यकीन अफवाहों में ,
घर के आँगन को ही रौंद दिया ,
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?

सत्ता के इस खेल में ,
माना मिला कुछ भत्ता तुमकों,
सौदा स्वदेश के सुकून का ,
हर हाल में पड़ेगा महेगा तुमको,
देश की स्वर्णिम प्रगति में,
है तुमने अल्पविराम दिया,
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना,
क्या ये तुमने क्या कर दिया?
क्यों ….. तुम्हें एहसास है ना
क्या ये तुमने क्या कर दिया?
" श्रुति द्विवेदी"
शिक्षिका, ग्रैड्स इंटरनैशनल स्कूल, ग्रेटर नोएडा