जब भी सोंचे अच्छा सोंचे – प्रेरक कविता

जब भी सोंचे अच्छा सोंचे ,
सीधा सच्चा रास्ता सोंचे ,

कलम को अपनी ढाल बनाकर , तलवारों से नहीं डरे हम ,

सृजन प्रेम की बात करें हम ,
नफरत का प्रतिकार करें हम ,

आशा फूलों की अच्छी है
हटें नहीं जब मिलें खरोंचे ,

जब भी सोंचे अच्छा सोंचे ,
सीधा सच्चा रास्ता सोंचे ,

औरों के भी दिल को समँझे,
उनकी भी मुश्किल को समझें ,

प्रेम की भाषा प्रेम की बोली ,
कर्म की भाषा . कर्म की बोली,

कर्म दिवाली, कर्म ही होली
डटें रहें हम जुटें रहें हम ,

हटें नहीं हम जब , लगे खरोंचे,

जब भी सोंचे अच्छा सोंचे ,
सीधा सच्चा रास्ता सोंचे ,