अंग्रेजी नहीं बोलने पर सुरभि गौतम का बना था मजाक, IAS ऑफिसर बन इस तरह लोगों का किया मुंह बंद

सुरभि गौतम मध्य प्रदेश के सतना डिस्ट्रिक्ट के अमदरा गांव से हैं। उन्होंने यहीं से अपनी 10वीं और 12वीं की शिक्षा हासिल की। सुविधाओं की भारी कमी होने के बावजूद भी सुरभि ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 90% से ज्यादा अंक हासिल किए थे। बचपन से पढ़ने में होशियार सुरभि गौतम ने 10वीं परीक्षा पास करने के बाद ही तय कर लिया था कि उन्हें आईएएस ऑफिसर बनना है। यही नहीं 10वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक सुरभि अपने हर क्लास में टॉप करती थीं।

सुरभि गौतम के पिता मैहर सिविल कोर्ट में वकील हैं जबकि उनकी मां सुशीला गौतम शिक्षिका हैं। ऐसे में वो चाहते थे कि उनकी बेटी आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाए। उस वक्त सुरभि अपने गांव में पहली लड़की थी जिन्हें शहर जाकर पढ़ाई करने का मौका मिल रहा था।

ऐसे में उन्होंने स्टेट इंजीनियरिंग का एंट्रेंस एग्जाम दिया, यहां भी परीक्षा में उन्होंने अच्छे नंबर स्कोर किए। जिसकी वजह से उन्हें सरकारी कॉलेज में दाखिला मिल गया। सुरभि ने भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन्स में इंजीनियरिंग की हैं।

यूनिवर्सिटी टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट रहीं सुरभि गौतम को 2016 के सिविल सर्विस परीक्षा में 50वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने इसे फर्स्ट अटैंप्ट में ही हासिल किया था। सिविल सर्विस परीक्षा को पास करने से पहले सुरभि BARC में एक साल न्यूक्लियर साईंटिस्ट के तौर पर जुड़ी रहीं , GATE, ISRO (ऑल इंडिया दूसरा स्थान मिला), SAIL (इस परीक्षा में पास होने के बाद उन्हें यहां से भी कॉल भी आया)।

इसके अलावा उन्हें MPPSC PRE, SSC LGL, दिल्ली पुलिस और FCI की परीक्षाओं को भी पास किया है। यही नहीं उन्हें 2013 के IES एग्जाम में ऑल इंडिया में फर्स्ट रैंक मिली थी। इन सबके बाद उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी।

आईएएस में सफलता हासिल करने वाली सुरभि के लिए एक वक्त ऐसा भी था जब हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने की वजह से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। दरअसल 12वीं की शिक्षा हासिल करने के बाद वो शहर आईं तो कॉलेज में हर कोई अंग्रेजी में बात करता था।

अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से क्लास में कई बार उनका मजाक बनाया गया। सभी सब्जेक्ट में टॉप करने वाली सुरभि के लिए अंग्रेजी एक मात्र मुश्किल सब्जेक्ट था ऐसे में उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से साबित किया कि भाषा से नहीं मेहनत से सफलता हासिल की जाती है।