दीपक श्रीवास्तव
वैसे तो प्रधानमंत्री द्वारा किया गया कोई भी कार्य व्यक्तिगत ना होकर सामाजिक होता है, भले ही वह व्यक्तिगत हो। प्रधानमंत्री केवल एक व्यक्ति भर ही नहीं होता बल्कि वह संपूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है तथा उसके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य तथा उसका प्रत्येक शब्द संपूर्ण राष्ट्र को प्रस्तुत करता है। अतः प्रधानमंत्री पद की गरिमामय कुर्सी पर बैठने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी बहुत बड़ी हो जाती है। विद्यार्थियों से लेकर, राजनीतिज्ञों सामाजिक कार्यकर्ताओं, एवं अन्य जनता की दृष्टि सदैव प्रधानमंत्री की गतिविधियों पर लगी रहती है तथा भविष्य में प्रधानमन्त्री के क्रियाकलापों को इतिहास लिखता है जिस पर अनेक शोधार्थी शोध भी करते हैं। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री के क्रियाकलापों द्वारा ही अन्य देश किसी देश की संस्कृति तथा महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानते-समझते हैं। अतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके कई मायने हो जाते हैं।
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा केदारनाथ धाम के पास गुफा में ही गई 17 घंटे की तप-साधना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सत्य है प्रत्येक देश में विपक्षी दलो द्वारा अनेक विरोधी स्वर जाग्रत रहते हैं जो भारत में भी हैं, किंतु यह तप-साधना एवं मीडिया द्वारा उसका विस्तारण केवल भारत वर्ष ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यन्त महत्वपूर्ण हो चला है। ऋषि मुनियों की महान तपस्थली भारतवर्ष की संस्कृति के बारे में वैश्विक स्तर पर जितना कार्य हुआ है वह वेद, उपनिषद इत्यादि शास्त्रों में लिखित ज्ञान तथा कुछ पौराणिक एवं आदर्श कहानियों तक ही सीमित है। प्रायोगिक रूप से भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग तप-साधना के बारे में अब भी वैश्विक स्तर पर अत्यन्त कम जीवन प्रमाण उपलब्ध हैं, ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री द्वारा एकांत में 17 घंटे की तपस्या से निश्चित रूप से अनेक देश आकर्षित होंगे जिससे भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग “तपश्चर्या” के बारे में संपूर्ण संसार अवगत होगा। भविष्य में इस पर बहुत सारे संवाद भी होंगे, इस कठिन तपस्या के बारे में जानने हेतु परिचर्चाएं भी होंगी, जिससे भारतीय संस्कृति के वैश्विक विस्तार को नया आयाम मिलेगा।
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