-डीसीडब्ल्यू चीफ ने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिख बताया, आदेशों के बाद भी महिला एवं बल विकास विभाग(डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट) ने अभी तक ट्रैफिकिंग और जीबी रोड के सेक्सवर्करों के लिए नहीं बनाई पुनर्वास योजना
– चीफ सेक्रेटरी से की गुजारिश एक महीने में तैयार करवाये पुनर्वास योजना, देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ ले एक्शन
-ट्रैफिकिंग व रिहेब्लीटेशन को लेकर बनाई गई कोआर्डिनेशन कमेटी की दूसरी मीटिंग बुलाने की गुजारिश की, इस कमेटी की पहली मीटिंग एक साल पहले महिला आयोग के लगातार कहने के बाद हुई थी, तब से अब तक सात बार टाली जा चुकी है इस कमेटी की मीटिंग
दिल्ली। मानव तस्करी की पीड़िताओं और जीबी रोड पर रह रही सेक्स वर्कर्स के लिए पुनर्वास योजना बनाने में हो रही देरी को लेकर दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी डॉ एमएम कुट्टी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में डीसीडब्ल्यू चीफ ने लिखा है कि पिछले डेढ़ साल में महिला आयोग ने उनकी अगुवाई में जीबी रोड पर बने वैश्यालयों का कई बार निरीक्षण किया है। जहां एक अनुमान के अनुसार चार हजार महिलाएं और 800 बच्चे रहते हैं। यहां रहने वाली अधिकतर लड़कियां व महिलाएं मानव तस्करी के द्वारा यहां लायी गई हैं और उनका यहां शारीरिक शोषण होता है उन्हें यहां बहुत यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।
स्वाति मालिवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2015 सितंबर में वे तत्कालीन दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी केके शर्मा से मिली थी और उनसे ह्यमून ट्रैफिकिंग को रोकने और उनके रिहेब्लीटेशन के लिए बनाई गई स्टेट लेवल को-आर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग बुलाने की मांग की थी। क्योंकि इस कमेटी को 2012 में गठित किया गया था लेकिन पिछले तीन साल से इस कमेटी की एक भी मीटिंग नहीं की गई थी। महिला आयोग की सक्रियता के बाद2015 अक्टूबर में पहली बार इस कमेटी की मीटिंग बुलाई गई। जिसमें ट्रैफिकिंग विक्टिम और सेक्स वर्कर्स के लिए पुनर्वास योजना बनाने पर सहमति बनी थी। मीटिंग में तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी नेमहिला एवं बल विकास विभाग(डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट) को पुनर्वास योजना बनाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग से गंभीर मुद्दे पर सभी सम्बंधित विभागों को मिलकर काम करने की जरुरत है।
कुछ दिन पहले महिला आयोग ने डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट को नोटिस जारी करके ट्रैफिकिंग विक्टिम को लेकर बनाई जा रही रिहेब्लीटेशन पॉलिसी के बारे में जानकारी मांगी। जिसके जवाब में डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट ने आयोग को बताया कि अभी पुनर्वास योजना बनानी भी शुरू नहीं हुई है। डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट ने अपने जवाब में बताया कि अभी सर्वे करना है कि दिल्ली में जीबी रोड पर कितनी महिलाएं वैश्यावृत्ति में शामिल हैं उसके बाद ही पुनर्वास योजना बनाई जाएगी। हैरानी की बात है कि अक्टूबर 2015 में हुई स्टेट लेवल की को-आर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में भीडब्ल्यूडीसी डिपार्टमेंट ने बताया था कि पहले सर्वे किया जाएगा उसके बाद ट्रैफिकिंग विक्टिम्स के रिहेब्लीटेशन के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी।
डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट ने अभी तक रिहेब्लीटेशन पॉलिसी बनाने की ओर कोई कदम नहीं उठाया है जिससे दिल्ली महिला आयोग बहुत आहत है। इसके साथ ही अभी तक जीबी रोड पर रहने वाली सेक्स वर्कर्स के बच्चों के लिए भीअभी डब्ल्यूसीडी डिपार्टमेंट ने कोई योजना नहीं बनाई है।
दिल्ली महिला आयोग ने चीफ सेक्रेटरी से गुजारिश की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए ट्रैफिकिंग विक्टिम और सेक्स वर्कर्स के लिए पॉलिसी बनवाये। पॉलिसी बनाने में दिल्ली महिला आयोग,एनजीओ और एक्सपर्ट से भी राय मश्विरा किया जाए।
इसके साथ रिहेब्लीटेशन पॉलिसी बनाने में देरी के लिए संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके साथ जीबी रोड के सेक्स वर्कर्स के बच्चों के रिहेब्लीटेशन व स्टेट लेवल को-आर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग बुलाने पर जल्द निर्णय लिया जाए। क्योंकि इससे पहले सात बार इस कमेटी की मीटिंग स्थगित की जा चुकी है। अंत में आयोग की चेयरपर्सन ने अपने पत्र में लिखा है कि जीबी रोड ह्यूमन ट्रैफिकिंग का अड्डा बना हुआ है। जिस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने के लिए चीफ सेक्रेटरी की दखल बहुत जरुरी है।