एमसीडी चुनाव ख़त्म हो चुके हैं। उम्मीदवारों के भाग्य का परिणाम कल जनता के सामने होगा। ऐसे में स्वराज इंडिया ने हमेशा की तरह एक नई सोच के साथ नया कदम बढ़ाते हुए चुनाव परिणामों के एक दिन पहले ही अपने सभी उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया। स्वराज इंडिया ने एक नए तरह का प्रयोग करते हुए अपने उन उम्मीदवारों को भी सम्मानित किया जिनका नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया था।
स्वराज इंडिया ये मानती है कि उसकी जीत सत्ता हासिल करने में ही नही है, अपितु जिन मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए पार्टी ने चुनाव लड़ा उन मुद्दों पर उसने अपनी जीत को शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया है।
स्वराज इंडिया ने अपने विज़न में एक ओर जहाँ दिल्ली की स्वच्छ्ता को महत्व दिया वहीं दूसरी ओर महिला अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए 111 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए। स्वराज इंडिया ने कैंडिडेट सेलेक्शन के लिए एक निर्धारित मानदंड जनता के सामने रखा जो अन्य पार्टियों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत रहा। ज्ञात हो कि स्वराज इंडिया के अधिकतर उम्मीदवार शिक्षा, समाज, खेल और सिनेमा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
स्वराज इंडिया और पार्टी के उम्मीदवारों के लिए हर तरह की विपरीत परिस्थितियां बनाई गई। दिल्ली सरकार की विरोधी प्रवृत्ति के कारण स्वराज इंडिया को ‘समान चुनाव चिन्ह’ से भी वंचित होना पड़ा जिससे पार्टी को चुनावी प्रतिस्पर्धा में परेशानियों का सामना करना पड़ा।
दिल्ली एमसीडी चुनाव में जहाँ एक तरफ सारी पार्टियाँ दिल्ली को एक दूसरे से मुक्त कराने की बात करती रहीं वहीं दूसरी ओर स्वराज इंडिया ने दिल्ली को गंदगी, कचरा और महामारी से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है।
एमसीडी चुनावों में स्वराज इंडिया की लोकप्रियता से क्षुब्ध और भयभीत विपक्षी पार्टियों ने हमारे उम्मीदवारों पर लगातार हमले भी करवाये। जिनमें से मिनतुल्लाह आलम, पंकज चौधरी, संजय सिंघल, प्रीति केसरी और सुवर्णाराज पर जानलेवा हमले भी किये गए। विदित हो कि सुवर्णा राज एक अंतर्राष्ट्रीय पैराओलम्पियन हैं।
स्वराज इंडिया ने इस चुनाव में युवा नेतृत्व को वरीयता देते हुए युवा नेताओं को भी अधिक संख्या में टिकट दिया। इन चुनावों में पार्टी ने युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर एक मुहर और लगाई।
स्वराज इंडिया, नई पार्टी होते हुए भी दिल्ली के कोने-कोने में और देश भर में अपना संगठन विस्तार करने में सफल रही है।
स्वराज इंडिया की सफलता इस मायने में भी सुनिश्चित रही है कि उसके उम्मीदवारों ने धन-बल और कई तरह की धमकियों के आगे झुकने से इंकार कर दिया।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने बताया कि केवल सत्ता में आना ही हमारा एकमात्र मक़सद नहीं है बल्कि हमारा मक़सद है राजनीति नामक इस युगधर्म को सच्चाई से निभाना। उन्होंने बताया कि हमारा युगधर्म है भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ना, महिलाओं और युवा अधिकारों के लिए लड़ना। और सबसे बढ़कर एक राजनीतिक विकल्प के रूप में, एक उम्म्मीद के रूप में सशक्त संगठन निर्माण ही हमारा सबसे बड़ा संकल्प है। एमसीडी चुनाव ने ये साबित किया है कि हर तरह की विपरीत परिस्थितियों में भी स्वराज इंडिया बिना रुके-झुके संघर्ष करने को तैयार है।
आज स्वराज इंडिया के कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री योगेंद्र यादव ने कहा – “इस बार का नगर निगम चुनाव स्वराज इंडिया के लिए पत्थर पर हल चलाने जैसा काम था। बड़े-बड़े विज्ञापनों के लिए काली कमाई वाले लोगों से पैसा लेकर संगठन चलाना स्वराज इंडिया के लिए असंभव बात है।
दिल्ली नगर निगम में चुनाव तो कई पार्टियों ने लड़ा पर एक इंटीग्रिटी कमिटी के अधीन चुनाव लड़ने वाली स्वराज इंडिया पहली पार्टी है। सामान्यतः जहाँ सभी पार्टी ने नेताओं की पत्नी को टिकट देने का चलन बना रखा है। स्वराज इंडिया ने ऐसी अवधारणाओं को तोड़ा है और स्वतंत्र और सशक्त महिला उम्मीद्वारों को चुनाव में उतारा।
श्री शांति भूषण ने कहा कि कल आने वाला चुनाव परिणाम जैसा भी हो लेकिन एक दिन स्वराज इंडिया देश की स्वच्छ व मज़बूत पार्टी बनकर उभरेगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव इसी साल में निश्चित है।
स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वराज इंडिया के सिपाहियों की राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित नही होगी, उनका काम 365 दिन 24 घण्टे जनहित के कामों में लगेगा।