शिवाजी महाराज से जुडी घटनाओं और हमारे गौरवशाली इतिहास से अवगत कराता प्रसिद्ध नाटक “राजा शिवछत्रपति ऐतिहासिक गौरवगाथा”का मंचन चौथे दिन भी सोमवार को भारी भीड़ के बीच लाल किले के प्रांगण में शुरू हुआ। इसके साथ ही जय भवानी एवं जय शिवाजी के नारे से आकाश गुंजायमान हो गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस शरद अरविंद बोपडे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहुजा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओप और उत्तर प्रदेश के विधायक राजा भैया
इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिल्ली के लोगों का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सभी के लिए यह गौरव की बात है कि छत्रपति शिवाजी महानाट्य का मंचन दिल्ली मे हो रहा है।
उन्होंने कहा कि जिस काल में लोग मुगलों की गुलामी करने को गौराववंती मामते थे। एक छोटे से बच्चे ने देश में स्वराज्य स्थापना का प्रण्ड लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवाजी वीर तो थे ही लेकिन जो बात उन्हें सबसे अलग करती है वह है कि वो सामान्य लोगो में स्वदेश की भावना जगाना जानते थे। उन्होंने स्वराज की स्थापना की। आम जनता को न्याय मिले और एक राज्य कैसे चलना छाहिये वह बखूबी जानते थे।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि आज दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में स्वराज्य की राजधानी रायगढ़ के किले को पुन: स्थापित करने का फैसला लिया गया है।
बता दें कि पांच दिनों तक चलने वाले इस महानाट्य को देखने के लिये लोग राज्यों से भी आये थे। महानाट्य की मंचीय भव्यता देश-विदेश में सबका मन मोह रही है। कार्यक्रम के लिए चार मंजिला स्टेज पिछले 15 दिनों से तैयार किया गया है। 250 कलाकारों का शानदार अभिनय, वास्तविक धोड़ो की टाप ने उड़ती हुई धूल के साथ व सटीक ध्वनी के प्रयोग ने शिवाजी काल को पुनः जीवंत कर दिया। महानाट्य में शिवाजी महाराज का शौर्य, सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता, प्रसाशनिक कुशलता, युद्ध कौशल नीति, दूरदर्शिता, युद्ध की विशिष्ट नीति एवं शैली का बहुत ही अद्भुत संगम देखने को मिला।
शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित मराठी नाटक “जाणता राजा” का यह हिंदी रूपान्तर है जिससे 96 वर्षिय शिव शाहीर बाबा साहेब पुरंदरे ने मराठी में लिखा है। भारत, अमरीका, इंग्लैंड सहित दुनिया के विभिन्न देशों में इस महानाट्य का अभी तक 1200 से ज्यादा मंचन हो चुका इस नाटक का उद्देश्य जन जन को शिवाजी से जुडी घटनाओं और हमारे गौरवशाली इतिहास को अवगत करना है। यह महानाट्य हमें राष्ट्र धर्म की सीख देता है और समाज के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराता है। यह देश के ऐसे महान हिन्दू सम्राट की कहानी है जिसने राजसत्ता का त्याग कर स्वतंत्रता सेनानी बनकर हिन्दवी स्वराज की आवाज बुलंद की थी।