डिप्रेशन पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणाद ायीं कविता – प्रतिबिम्ब

Tanvi Gulati – Lady Irwin

College

ज़िन्दगी में ऐैसे लम्हे अक्सर आ जाते हैं,

जिनमें हम इस पल में थोड़ा खो से जाते हैं,

उन लम्हों में न तो हम जी पाते हैं,

और न ही ठीक से मर पाते हैं

वो वक्त जैसे रुक सा जाता है,

हर लम्हा जैसे गुज़र न पाता है,

ज़िन्दगी में अनजाना खालीपन सा आ जाता है,

जिसमें होठों से कुछ कहा ना जाता है,

बस आसुओं में ही सब कुछ बह जाता है,

जिसमें साथ होकर भी सबके ,एकाकीपन का एहसास होता है,

हर एक के चहरे पर ख़ुशी देखकर मन,

खुदको हज़ारों बार कोसता है,

पर अजीब सी बात तो ये है की,

उस वक्त कुछ भी समझ में नहीं आता है,

की मन क्यूँ उठने का नहीं करता है,

या यूँ कहूँ दुसरे लम्हे में जाने से डरता है,

शायद इसी को लोग कहते हैं डिप्रेशन,

जिससे अनजान बनकर वो कहते हैं दूसरों को “पागल”,

पर मेरे ख्याल में ये एक ऐैसी बिमारी है,

जो एक व्यक्ति को अपने आप से रूबरू होने का मौका देती है,

जो किसी भी छोटे या बड़े उम्र के व्यक्ति में भेद नहीं करती,

पर इससे निपटना कोई मुश्किल बात भी नहीं है,

बस ज़रुरत है तो अपने आस-पास आँखें खुली रखके इसके लक्षण पहचानने की,

और अपनों का कदम से कदम मिलाके चलने की,

और उनसे बस यह कहने की,”कि ये यात्रा कठिन है मैं जानता हूँ”,

“पर मैं आपके साथ हर पल खड़ा हूँ”, बस यही बात हर बार दोहराता