नई दिल्ली. केंद्र द्वारा राज्यों को वाहनों पर दुर्घटना से बचाव के लिए विशेष सुरक्षा ढांचे (क्रैश गार्ड और बुल बार) अवैध रूप से लगाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू हो चुकी है. दिल्ली से लेकर चंडीगढ़, सूरत, मुंबई, चेन्नई तक में ट्रैफिक पुलिस इसपर चलान काट रही है लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो बंपर गार्ड लगाकर गाड़ी धड़ल्ले से चला रहे हैं. ऐसे लोगों को मानना है कि गाड़ी पर बंपर गार्ड हो तो नुकसान कम होता है लेकिन ऐसा नहीं है. जी न्यूज ने अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है और जनता को ये बताने की कोशिश की है कि आखिर बंपर गार्ड से क्या क्या नुकसान हो सकता है.
-इस वक्त बाजार में जो गाड़ियां आ रही हैं, उनकी बनावट इस तरह से होती है कि टक्कर की स्थिति में अगले हिस्से पर पूरा जोर पड़े और अंदर बैठे लोगों को चोट न आए लेकिन बंपर गार्ड की वजह से झटका कई गुना तेज होकर सीधा ड्राइविंग और अगली सीट पर बैठे पैसेंजर तक पहुंचता है इससे गाड़ी का तो नुकसान होता ही है, सवारियों की जान पर भी खतरा बन जाता है.
-सड़क हादसे में ऐसा कई बार देखा गया है कि गाड़ी से टकराने वाली बाइक या साइकिलें इन बंपर गार्ड में फंस जाती हैं और कई किलोमीटर तक घिसटती चली जाती हैं. देश में ऐसे हादसों में हर साल लाखों जानें जा रही हैं.
-यही नहीं, किसी भी वाहन, जिसमें एयरबैग होता है, हादसे के वक्त उसका एयरबैग तभी खुलता है जब रेडिएटर फटता है लेकिन बंपर गार्ड लगे होने की वजह से हादसे की तीव्रता तो बढ़ती ही है, साथ में रेडिएटर न फटने से एयरबैग सही वक्त पर नहीं खुल पाते हैं.
बंपर गार्ड पर रोक के बाद इसे बनाने वाले लोग कोर्ट पहुंचे हैं. इस निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार का रुख जानना चाहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति हरिशंकर की पीठ ने सड़क परिवहन मंत्रालय से जवाब मांगा है. पीठ का मत था कि ‘मानव जीवन बुल बार लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है.’
इससे पहले केंद्र के वकील ने पीठ से कहा था कि बुल बार वाले वाहनों की टक्कर या दुर्घटना की स्थिति में टक्कर का असर वाहन पर नहीं आता, जिससे एयरबैग लोगों की जान बचाने के लिए शायद नहीं खुले. मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में यह कहते हुए सभी राज्यों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था कि क्रैश गार्ड से पैदल चलने वालों एवं वाहन में सवार व्यक्तियों दोनों के लिए खतरा पैदा होता है और यह मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है.
क्रैड गार्डों और बुल बारों के विनिर्माता एवं डीलर होने का दावा करने वाले मोहम्मद आरिफ ने सात दिसंबर, 2017 को मांग की कि राज्यों को मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देश को लागू करने से रोक दिया जाए. आरिफ ने अर्शी कपूर और सिद्धार्थ बगला की जनहित याचिका के सिलसिले में पक्षकार बनाने की मांग की है. कपूर और बगला ने दावा किया है कि भले ही ये बंपर स्टायलिश दिखते हों और कम गति होने पर वाहन को बचाते हों लेकिन तेज गति के हादसों में वे कार के अंदर बने सुरक्षा उपायों को धत्ता बता देते हैं, जिससे यात्रियों को गंभीर और घातक चोट लग सकती है.