मुंबई| लगभग तीन साल पहले महाराष्ट्र की कमान संभालने वाले देवेंद्र फड़नवीस इस समय सबसे बड़े सियासी संकट का सामना कर रहे हैं. भीमा-कोरेगांव की हिंसा और उसके बाद महाराष्ट्र बंद को लेकर विरोधक फड़नवीस पर निशाना साध रहे हैं. वैसे सियासी जानकारों के अनुसार आने वाले समय में फड़नवीस का सिरदर्द और बढ़ सकता है क्योंकि मराठा समाज ने भी अपनी मांगो को लेकर अगले महीने आन्दोलन करने की चेतावनी दी हैं. मराठा समाज ने पिछले दिनों भी काफी आंदोलन किए है जिसमे उन्हें लोगों का साथ मिला है. यह आंदोलन पहले भी फड़नवीस के लिए चिंता का सबब बन चूका है.
आरक्षण के साथ मराठा समाज की एक मांग यह भी है कि अत्याचार अधिनियम में ढील दी जानी चाहिए. इसकी वजह से दलित संगठनों में नाराजगी है. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी मौके को भुनाने की पूरी कोशिश कर सकती हैं. दोनों ही पार्टियां मराठा और दलित समाज को अपने करीब करने की कोशिश कर सकती हैं. ऐसा करना आसान भी है क्योंकि मुख्यमंत्री ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और कांग्रेस-एनसीपी के तमाम बड़े नेता मराठा समाज से आते हैं.
वहीं, दलित समाज द्वारा किए गए शक्तिप्रदर्शन से भी बीजेपी चिंतित है. महाराष्ट्र में दलित संगठनों द्वारा किए गए बंद का प्रभाव पुणे, सातारा, कोल्हापूर, जलगाव, औरंगाबाद और मुंबई में देखने को मिला. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को करीब 10 घंटे तक ‘बंधक’ बना लिया गया. इस आंदोलन से देश के संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर का कद बढ़ा हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी को आरपीआई (अठावले गट) का समर्थन हासिल है ऐसे में प्रकाश आंबेडकर को लोगों का समर्थन मिलना बीजेपी के लिए चिंता का विषय है.
वहीं, सूबे का धनगर समाज भी आरक्षण की मांग कर रहा है.आने वाले दिनों में वह समाज भी मुख्यमंत्री की परेशानियों में इजाफा कर सकता है. ऐसे में सीएम की आगे की राह आसन नहीं हैं.