लखनऊ| उत्तर प्रदेश विधानसभा में खतरनाक पीईटीएन विस्फोटक बरामद होने की भ्रामक रिपोर्ट देने वाले विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के निलम्बित निदेशक को आज ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति‘ दे दी गई. गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविन्द कुमार ने मंगलवार को बताया कि गत 12 जुलाई को विधानसभा में बरामद संदिग्ध पाउडर के पीईटीएन होने सम्बन्धी गलत और भ्रामक रिपोर्ट देने वाले एफएसएल के निलम्बित निदेशक श्याम बिहारी उपाध्याय को मंगलवार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रयोगशाला के वैज्ञानिक राघवेन्द्र यादव को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है. कुमार ने बताया कि विधानमण्डल के बजट सत्र के दौरान गत 12 जुलाई को विधानसभा के अंदर एक सीट के नीचे संदिग्ध पाउडर बरामद हुआ था.
उपाध्याय की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में इसे खतरनाक विस्फोटक पीईटीएन बताया गया था, जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा हैदराबाद स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण कराया गया तो पता लगा कि वह पाउडर सिलिकान आक्साइड था, जो कि विस्फोटक तत्व नहीं होता.
उन्होंने बताया कि भ्रामक रिपोर्ट देने की वजह से उपाध्याय को निलम्बित कर दिया गया था. पीईटीएन एक खतरनाक विस्फोटक है, जिसका सामान्य सुरक्षा जांच के दौरान आमतौर पर पता नहीं लग पाता.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में नेता विपक्ष के आसन के पास बरामद पाउडर के पीईटीएन होने की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर मामले की जांच एनआईए से कराने के आदेश दिये थे. उन्होंने कहा था कि पीईटीएन की बरामदगी एक खतरनाक आतंकवादी साजिश का परिणाम है और इसका पर्दाफाश होना चाहिये