श्रीनगर| हाल ही में बडगाम के पखारपुरा में जिस मुठभेड़ में जैश ए मोहम्मद के चार आतंकवादी मारे गये थे, उसे ‘तोरा-बोरा’ नाम से चर्चित इलाके में सुरक्षाबलों के पहली बार कदम रखने के रुप देखा जा रहा है. बड़ी संख्या में विदेशी आतंकवादियों की उपस्थिति की वजह से पखारपुरा तोरा-बारा नाम से चर्चित है. अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादी अक्सर इस इलाके के घने जंगलों में छिपे होते हैं. यह इलाका उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले तोरा-बोरा की भूलभलैया वाली पहाड़ियों से भिन्न नहीं है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दल और सेना ने बृहस्पतिवार को इस क्षेत्र में अपना पहला अभियान चलाया था और चार आतंकवादियों को मार गिराया था. इस साल अप्रैल में पखारपुरा से करीब आठ किलोमीटर दूर हयातपुरा में दो आतंकवादी मारे गये थे लेकिन अधिकारियों ने इसे नियमित चेकिंग के दौरान अनायास हुई मुठभेड़ बताया था.
आतंकवादी पखारपुरा में खासकर पिछले साल आतंकवादी सक्रिय थे. यह बडगाम जिले में रणनीतिक रुप से स्थित है क्योंकि इसका एक रास्ता दक्षिण कश्मीर की तरफ और दूसरा श्रीनगर की तरफ जाता है. इस साल आतंकवाद को लोगों का समर्थन मिला. स्थानीय लोगों ने खासकर आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षाबलों का जबर्दस्त विरोध किया.
घाटी का ‘तोरा-बोरा’ विषय सुरक्षा एजेंसियों की कई बैठकों में प्रमुख रुप उठा क्योंकि यहां से करीब 45 किलोमीटर दूर तोरा बोरा दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के घुस आने का मार्ग है . पिछले साल आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद दक्षिण कश्मीर अशांति की चपेट में आ गया था.
एक अधिकारी ने बताया कि यह क्षेत्र विदेशी आतंकवादियों का ‘स्वागत क्षेत्र’ है जो पखारपुरा के रास्ते दक्षिण कश्मीर में पहुंचते हैं. क्षेत्र में घने जंगल एवं गहरी खाइयां आतंकवादियों को बचने का रास्ता प्रदान करती हैं. अधिकारी ने बताया कि पिछले दो-चार साल में लोकप्रिय हुए एक धर्मस्थल होने के कारण पखारपुर में लोगों का आना-जाना लगा रहता है. इससे सुरक्षाबलों के लिए आतंकवादियों की त्वरित पहचान करना मुश्किल हो जाता है.
जब यह पता चला कि आंकवादी दक्षिण की तरफ जाने के लिए पहाड़ी रास्तों के बजाय सार्वजनिक रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं तब सुरक्षा एजेंसियों ने सड़कों पर बैरीकैड लगाने और इस क्षेत्र में गश्ती बढ़ाने का सुझाव दिया लेकिन राज्य सरकार ने इसे खारिज कर दिया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की बार बार की चेतावनी के बाद भी इस खामी को दूर करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया. लेकिन सेना ने सुरक्षा की झलक पेश करने के लिए हाल ही 1000 कर्मियों की एक बटालियन उस इलाके के पास भेजी और पखारपुरा के समीप एक शिविर भी लगाया.
पीटीआई भाषा के पास उपलब्ध खुफिया रिपोर्टों के अनुसार पखारपुरा के पास कई ऐसे गांव हैं जहां आतंकवादियों का आना-जाना होता है और वहां उनका नेटवर्क है. इन गांवों में कुजवेरा, मागरेय पुरा, ब्रह्मपुरा, कैसेमुल्ला, गोहारपुरा, काजीपुरा, वानबघ, हयात पुरा, मालपुरा, तुजान और दलवान हैं. रिपोर्ट के अनुसार ये क्षेत्र पुलवामा और बडगाम जिलों के सबसे खतरनाक क्षेत्रों में आते हैं.