जानिए कौन है अबू सलेम और क्या है 1993 मुंबई ब्लास्ट में उसका रोल?

मुंबई| मुंबई की विशेष टाडा अदालत आज 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषियों को सजा सुना दी. कुख्यात डॉन अबू सलेम को उम्रकैद की सजा मिली है. 1993 मुंबई ब्लास्ट मामले में पुर्तगाल से 2005 में प्रत्यर्पित कर लाया गया माफिया डॉन अबु सलेम के साथ मुस्तफा दोसा, मोहम्मद ताहिर मर्चेट उर्फ ताहिर टकला, करीमुल्लाह खान, रियाज सिद्दीकी और फिरोज अब्दुल राशिद खान को दोषी करार दिया गया था. अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद दोसा की मौत हो गई थी. आइए जानते हैं कि माफिया डॉन अबू सलेम कौन है और उसका इस ब्लास्ट में क्या रोल था.

कौन है अबू सलेम?

अबू सलेम का जन्म यूपी के आजमगढ़ जिले के सराय मीर गांव में साल 1969 में एक साधारण परिवार में हुआ. उसका पूरा नाम अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी है. अबू सलेम के पिता पेशे से वकील थे जिनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. घर में पैसों की तंगी के चलते अबू सलेम ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और मैकेनिक की दुकान पर काम करने लगा.

पैसे कमाने के लिए चलाई टैक्सी:
आजमगढ़ में मैकेनिक का काम करने के बाद अबू सलेम ने दिल्ली का रुख किया. राजधानी में सलेम ने काफी दिनों तक टैक्सी चलाई मगर कुछ समय बाद वह सपनो के शहर मुंबई चला आया. सलेम ने यहां भी बतौर टैक्सी ड्राइवर काम शुरू किया.

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद से मुलाकात:

साल 1989 में बतौर टैक्सी ड्राइवर सलेम की मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से हुई. शुरूआत में दोनों के बीच केवल सलाम-दुआ ही होती थी मगर धीरे-धीरे सलेम और दाऊद के बीच नजदीकियां बढ़ीं और वह डी-कंपनी में शामिल हो गया. जल्द ही उसकी गिनती दाऊद के सबसे खास लोगों में होने लगी. सलेम, दाऊद के लिए जमीन के सौदे और हथियारों की सप्लाई के काम देखने लगा.

पहले वह गैंग के आम मेम्बर की तरह काम करता रहा लेकिन अपने हुनर और तेज़ दिमाग चलते जल्द ही वह गैंग में आगे बढ़ गया. दाऊद को सलेम पर इतना भरोसा हो गया कि उसने सलेम को डी-कंपनी का पूरा जिम्मा सौंप दिया. सलेम दाऊद के इशारों पर फिल्मी सितारों, बड़े कारोबारियों और बिल्डरों से जबरन वसूली करना शुरू कर दिया. मुंबई के लोग भी धीरे धीरे उसे जानने लगे थे.

1993 मुंबई ब्लास्ट में रोल:
12 मार्च, 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए. इन ब्लास्ट का इल्जाम दाऊद गैंग पर लगा. इन धमाकों में सलेम पर हथियार व गोलाबारूद सहित एके-47 राइफल और हथगोला आपूर्ति का आरोप था, जिसका विस्फोट में इस्तेमाल किया गया था. इसे गुजरात से मुंबई 1993 के प्रारंभ में लाया गया था. 1997 में बॉलीवुड के निर्माता गुलशन कुमार की हत्या में भी उसका नाम सामने आया था. अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सेक्रेटरी समेत कई लोगों की हत्या के मामलों में भी उसका नाम शामिल है.

पुर्तगाल से सशर्त गिरफ्तारी:
1993 ब्लास्ट सहित कई अन्य आरोंपो से घिरा सलेम देश छोड़कर भाग गया. 20 सितंबर, 2002 को इंटरपोल की मदद से पुर्तगाल में मोनिका बेदी के साथ गिरफ्तार किया गया. फरवरी 2004 में पुर्तगाल की एक अदालत ने उसका भारत में प्रत्यर्पण किए जाने को मंजूरी दे दी थी. उसे 2005 में भारत लाया गया था. प्रत्यर्पण संधि के हिसाब से उसे अधिकतम 25 साल की सजा दी जा सकती है.

निजी जीवन
सलेम की पहली शादी समीरा जुमानी से हुई, पहली बीवी से सलेम के दो बच्चे थे. कुछ सालों बाद ही सलेम और समीरा के बीच अनबन के बाद तलाक हो गया. सलेम ने फिर मोनिका बेदी से शादी करने का दावा किया. हालांकि मूल रूप से पंजाब के होशियारपुर जिले के चब्बेलाल गांव की रहने वाली मोनिका ने इससे इन्कार करते हुए कहा था कि मैं सलेम के साथ रही हूं लेकिन हमारा निकाह नहीं हुआ.