रानी खेड़ा की एकजुटता पूरे दिल्ली देहात की आवाज है

दोस्तों, दिल्ली देहात को कूड़ेदान बनाने की साजिश के खिलाफ गांवों और कालोनियों की एकजुटता अडिग है। नई दिल्ली में बैठे हुए ओहदेदार ये जानते नहीं हैं कि अगर देहात की हरियाली और स्वच्छ वातावरण को नष्ट किया गया तो नई दिल्ली में भी सांस लेना दूभर हो जाएगा। एनसीआर के नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद में कंक्रीट का जंगल खड़ा कर दिया गया है। ऐसी हालत में सिर्फ दिल्ली के गांव ही हैं जो साफ़ हवा की सप्लाई बनाये हुए हैं। लेकिन बिना सोचे समझे हर बार हमारे गांवों को निशाना बनाया जा रहा है। क्या हमें जीने का अधिकार नहीं है ? क्या हमें साफ़ हवा और पीने का पानी नहीं चाहिए ?

रानी खेड़ा में हम सब एक हैं। हमारी ये एकता नरेला में, बवाना में, क़ुतुब गढ़ में, कंझावला में, कराला में, मुंडका में, नांगलोई में, टिकरी में, दिचाऊं में, ढांसा में, ईशापुर में, छावला में, नजफगढ़ में, पालम में और महरौली में हर उस जगह दिखाई देगी जहाँ गांव के हितों पर चोट पहुंचाने की कोशिश नई दिल्ली की तरफ से होगी।

चार-छह एकड़ की सरकारी कोठियों में जमे हुए लोग पहले अपने लॉन में गाजीपुर के कचरे के दो ट्रक डलवाएं और फिर जिन्दा रहकर दिखाएँ…!!!

रानी खेड़ा के संघर्ष में मीडिया ने हमारा खूब साथ दिया है। मीडिया के हमारे मित्र इस बात को भी लगातार उठा रहे हैं कि किस प्रकार से नेता कचरे की समस्या का ठोस समाधान तलाशने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे हैं।

दिल्ली देहात के हजारों युवा साथी और महिला शक्ति इस संघर्ष में दिन-रात साथ खड़े हैं। हमे चौंकन्ना रहना होगा। हमारी एकता ही हमारी ताकत है।