सरकार का कहना है कि नेट न्यूट्रैलिटी की रूपरेखा के बारे में उसका कोई भी फैसला ट्राई की सिफारिशों के बाद ही होगा. भारत में नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर बहस दिसंबर 2014 में शुरू हुई जबकि एयरटेल ने इंटरनेट आधारित कालों में लगने वाले डेटा के लिए अलग से प्लान की घोषणा की. तब से ही इस मुद्दे पर खासी बहस चल रही है.
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नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई नेट न्यूट्रैलिटी के विवादास्पद मुद्दे पर अपनी सिफारिशें महीने भरे में दे सकता है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार ट्राई के चेयरमैन आर. एस. शर्मा ने इस मुद्दे पर एक खुली चर्चा के दौरान संवाददाताओं से कहा कि इस (नेट न्यूट्रैलिटी के) मुद्दे पर बहस में सभी भागीदार सक्रियता से भाग ले रहे हैं.
शर्मा ने कहा मुझे लगता है कि ट्राई सरकार को उचित राय दे पाएगा जिसके लिए उसे कहा गया है. सिफारिशों के लिए सयम सीमा के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि इसमें एक महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर दूरसंचार कंपनियां और इंटरनेट सामग्री प्रदाताओं में खींचतान है. दूरसंचार कंपनियां कंटेंट प्रदाताओं के साथ लागत भागीदारी की मांग कर रही हैं तो इंटरनेट कंपनियों का जोर सस्ती इंटरनेट सेवाओं पर है.