मोदी युग – वैश्विक क्षितिज पर विश्वास का विजय

प्रोफेसर पी.के.आर्य

दुनिया के लिए भारत सदा सर्वदा आकर्षण का केंद्र रहा है। वैश्विक सभ्यता जब अपनी आंखें खोल रही थी, तब भारत संस्कृति और मानवीय मूल्यों के लिए सभी की अंगुली पकड़कर आगे आगे चल रहा था। फिर मनुष्य की आकांक्षाओं ने उड़ान भरी और शक्ति बल और छल की बिसात पर देशों के भूगोल बदले, तब भारत सभी के लिए सोने की एक ऐसी चिड़िया के रूप में था , जिसका शिकार हर कोई करना चाहता था। फिर एक युग ऐसा भी आया जब यहां के ज्ञान के प्रभाव में दुनिया भर के विचारक इधर खिंचे चले आने लगे। बहुत बार बहुत तरह से भारत ने दुनिया को मोहने और मोहते रहने का कार्य किया है।वर्तमान में भारत फिर से दुनिया के आकर्षण का केंद्र बन रहा है। अनेक देशों के राजनेता भारत की राजनीति से प्रभावित हो रहे हैं।अनेक देशों में भारत के उन्नयन की चर्चाएं हैं , कल तक सांपों , सपेरों और फ़क़ीरों का देश बताकर हमारी कतिपय खिल्ली उड़ाने वाले देश अपने उपग्रह उड़वाने के लिए लाइन में खड़े हैं।
मोदी युग में भारतीय राजनीति के क्षितिज पर नई संभावनाओं का सूर्योदय हुआ है। एक भारत तो वह है जहां हम और आप निवासित हैं , एक भारत और भी है जो भारत के बाहर बसता है , वहां विश्वास और आशाओं की नई रश्मियां छितर रही हैं। दुनिया के अन्य अनेक देश आज भारत को एक नए चश्मे से देखने को विवश हुए हैं। ये सब किसी की दया दृष्टि या महानता के चलते नहीं हो गया है , इसे अर्जित किया गया है। योग्यताएं और स्थितियां अर्जित की जाती हैं फिर प्रभाव और सम्मान उनकी प्रतिछाया बनकर साथ चलते हैं। फोर्ब्स पत्रिका में छपे एक सर्वे आलेख के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार दुनिया की सभी सरकारों में सबसे ज़्यादा भरोसेमंद सरकार है।ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर इकोनॉमिक को – ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओ इ सी डी ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 73 फीसदी नागरिक मौजूदा सरकार के प्रति गहरे आश्वस्त हैं। किसी भी निर्वाचित सरकार के तीन साल बीत जाने के बाद भी नागरिकों की यह धारणा उसके लिए एक वरदान से कम नही है। इस क्रम में 62 फीसदी नागरिकों के समर्थन से कनाडा की दूसरे और 58 फीसदी के क्रम में तुर्की की सरकार तीसरे पायदान पर हैं।
नरेंद्र मोदी बेहद ही सूझ बूझ और सधे हुए अंदाज़ में अग्रसर हैं। स्पष्ट दृष्टिकोण , आध्यात्मिक पृष्ठभूमि, राजनीतिक कुटनीतिक्ता, और देश के प्रति समर्पण ने उन्हें यह यात्रा तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
वैश्विक संदर्भों में जब किसी चीज़ को जांचा – परखा , सोचा समझा , सराहा जाता है तो उसके मायने एकदम ही अलग होते हैं। पहले तो पश्चिमी प्रभाव और अपने पूर्वाग्रही नज़रिए से हमें देखने के आदि ये देश हमारे साथ स्वतः ही एक स्वाभाविक पक्षपात करते हैं , फिर दिल पर पत्थर रखकर किसी बात को कहने पर आ जाएं तो उतनी ही कहते हैं जो तार्किक कसौटियों पर यदि कसनी पड़ जाएं तो खरी उतरें !
प्रधनमंत्री बनते ही अपनी पहली भूटान यात्रा से मोदी के गहरे निहितार्थ जुड़ें हैं। दरअसल हमें अब वास्तविक खतरा यदि किसी से है तो वह है चीन। पाकिस्तान तो सिर्फ हव्वा है।तिब्बत, नेपाल,भूटान और बांग्लादेश की यात्राएं गहरी कूटनीति का हिस्सा हैं।यहां तक कि चीन के साथ किये जाने वाले वार्ता व्यवहार भी किस परिप्रेक्ष्य में थे ,यह भविष्य बताएगा। एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में मोदी के जीवन संस्कारों का विकास हुआ है। मैं आध्यात्मिक कह रहा हूँ , धार्मिक नहीं। अध्यात्म और धर्म में बहुत फर्क है बहुदा लोग दोनों को एक ही मानकर चलते हैं। अध्यात्म में सभी के कल्याण का भाव निहित है जबकि धार्मिक व्यक्ति अनेक बार न चाहते हुए भी संकीर्ण होता चला जाता है। मोदी के एक व्यक्ति के रूप में अपने संकल्पों के साथ दृढ़ता उन्हें औरों से पृथक करती है।यही वह गुण है जो उनके व्यक्तित्त्व और कृतित्व में एक स्पार्क पैदा कर रहा है। मोदी भाजपा में न होते और इतनी ही खूबियों के साथ राजीनीति में सक्रिय होते तो क्या कांग्रेस और लय अन्य दल सभी उन्हें उठाये उठाये फिरते। कईं बार विरोध के लिए विरोध करना पड़ता है।अतार्किक , लाचार और तथ्यविहीन विरोध । भारत के भले भोले लोग भले ही न समझे लेकिन दुनयावी राजनीति में सक्रिय पुरोधा मोदी की शक्ति, संकल्प और रणनीति को खूब अच्छे से भांप रहे हैं।उन्हें यह भी समझ आ चुका है कि राजनीति की भारतीय शतरंज पर बिछे अन्य मोहरे मसलन राहुल, नीतीश, मुलायम, माया,और ममता आदि मोदी के सामने कहीं भी नहीं ठहरते!
अमेरिका, जापान, लंदन,साउथ अफ़्रीका, ब्राजील , मॉरीशस, कनाडा और हाल ही की इस्राइल यात्राओं ने मोदी के लिए विश्व भर में एक अलग और नितांत उनकी अपनी स्थिति निर्मित की है।भारत के लिए बंद द्वार खुले हैं । अब संबंध मेरा राजनयिक औपचारिकता भर नहीं हैं , एक ऐसा वातावरण निर्मित हो रहा है जहां समग्र संभावनाओं की कलियां चटक रही हैं।इस सबके दूरगामी परिणाम होंगे। जी एस टी और नोटबन्दी के निर्णय ने मोदी को दुनिया के कद्दावर नेताओं की सूची में सिरमौर बना दिया है। तेज़ी से विदेशी निवेश की नदियां भरतोय समृद्धि के सागर में गोताखोरी को उत्सुक दिखाई दे रही हैं।यह अब से पहले कभी भी न था।किसी भी प्रधानमंत्री को वैश्विक परिदृश्य में इस लोकप्रियता को भोगने को सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है।
विदेशों में सक्रिय अन्य देशों के राजनयिक विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी अगले दो अन्य कार्यकालों तक प्रभावमान रहेंगे। भारत में अपने कुछ निहित स्वार्थों और मंसूबों के लिए सक्रिय लोगों के सीनों पर भले ही सांप लौटें , लेकिन मोदी का यह वैश्विक जादू अभी अक्षुण्ण बने रहने वाला है।
इस विश्वास की फसल में कुछ खरपतवार भी उगने को उतावले होंगे, उनसे कैसे निपटना है यह मोदी को पता है। यहां साम्प्रदायिक चालें और दिखावटी भयवादिता में संलिप्त मानसिकता जगजाहिर हो रही है।भारत बदल रहा है , यह बदलाव किसी के लिए अच्छा हो या न हो भारत के लिए अवश्य अच्छा है। आने वाले समय मे विश्व शक्ति का रूपांतरण होगा और स्थानांतरण भी , आप ध्यान रखना भारत उसमें सक्रिय दखल भी रखेगा और अपनी प्रभावी स्थिति भी। जाने किस मनोभाव से कवि ने लिखा होगा यह गान – ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा , झंडा ऊंचा रहे हमारा।’ इसके चरितार्थ होने के दिन करीब आते दीख रहे हैं।