कवि नीरज की स्मृति में मिलेगा नवोदित कवियो ं को 5 लाख रुपए का पुरस्कार.

नई दिल्ली – सदस्य एवं हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष आर. के सिन्हा ने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता कर कवि एवं गीतकार स्वर्गीय गोपालदास ‘नीरज’ की याद में ‘नीरज स्मृति न्यास’ का गठन की घोषणा की। ‘नीरज स्मृति न्यास’ इसके अध्यक्ष होंगे और कवि तथा गीतकार गजेन्द्र सोलंकी को इसका सचिव बनाया गया है।
नीरज स्मृति न्यास का पहला आयोजन कवि नीरज को ‘काव्यांजलि’ के रूप में 08 अगस्त को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले कवियों में वरिष्ठ कवि प्रो. सोम ठाकुर, डॉ. कुंवर बेचैन, डॉ. अशोक चक्रधर, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, प्रो. हरिओम पंवार, डॉ. गोविन्द व्यास, सुरेन्द्र शर्मा, विष्णु सक्सेना, राजेन्द्र राजन, संतोषानंद डॉ. सीता सागर, डा. सरिता शर्मा, श्रीओम अम्बर और शशांक प्रभाकर के नाम प्रमुख हैं।।

नीरज स्मृति न्यास की अवधारणा प्रस्तुत करते हुए आरके सिन्हा ने कहा कि कवि नीरज युवा कवियों को बहुत प्रोत्साहित किया करते थे। इसलिए हमने इस न्यास के माध्यम से नवोदित कवियों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का सम्मान देने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि नवोदित कवियों-रचनाकारों का चयन करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। वही तय करेगी यह राशि एक नवोदित कवि को दी जाए या अनेक को प्रोत्साहन स्वरूप दी जाए। भविष्य में यह राशि बढ़ाई भी जा सकती है। कवि नीरज की स्मृति में नवोदित कवियों को प्रोत्साहित किया जाए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आरके सिन्हा ने कवि नीरज के व्यक्तित्व का बखान करते हुए कहा कि वस्तुतः वे एक दार्शनिक कवि थे। उनकी लेखनी में सौन्दर्य एवं यथार्थ दोनों रहता था।उनकी भाषा शैली इतनी सहज और सरल थी कि सीधे दिल में उतर जाती थी।

उन्होंने बताया कि कवि नीरज ने हरिवंश राय बच्चन, सूर्यकान्त त्रापाठी निराला, फिराक गोरखपुरी, फैज, सुमित्रा नंदन पंत जैसे कवियों शायरों के साथ कविता पाठ किया है, पर कभी भी अहंकार उन्हें छूकर भी नहीं गया। बल्कि वे नवोदित कवियों को अपने साथ मंच पर ले जाते थे ताकि उनका स्थान बने। ऐसे ही उन्होंने फिल्म जगत की महान हस्तियों के साथ काम किया पर उसकी चकाचौंध से प्रभावित नहीं हुए।
कवि नीरज के फिल्मी दुनिया से जुड़े किस्से सुनाते हुए उन्होंने कहा कि राज कपूर, देवानंद जैसे अपने समय के सुपरस्टार नीरज के लिखे गाने ही पसंद किया करते थे।एक बार जब नीरज ने ‘ऐ भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी’ लिखा तो शंकर जयकिशन ने बोला – ये क्या लिखा है, इस पर कैसे धुन बनेगी। तब कवि नीरज ने गुनगुनाकर उस गीत की धुन बताई। हम देखते हैं कि यह गाना आज भी बेहद लोकप्रिय है।

आरके सिन्हा ने कहा कि कवि नीरज की स्मृति इतनी बढ़िया थी कि वह कविता पाठ के लिए कभी भी डायरी और कागज का इस्तेमाल नहीं करते थे। वे जनमने के कवि थे और निडर थे। आपातकाल के दौरान उनकी लिखी कविता ‘संसद जाने वाले राही कहना इंदिरा गांधी से, बच न सकेगी दिल्ली भी अब जय प्रकाश की आंधी से’ उनकी निडरता और बेबाकी दर्शाती है। हम सब चाहते थे कि हम उनकी जन्म शती मनाएं, पर वे सात साल पहले ही चले गए। पर उनके गीत लोगों की जुवान पर हमेशा अमर रहेंगे।